Anubhav Aur Utkarsh

Author: Brajratan Joshi
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Anubhav Aur Utkarsh

जीवन को पढ़ने के दो प्रमुख रास्ते हैं—संसार और साहित्य। संसार का संसरण और शब्द और अर्थ का ठीक-ठीक मेल हमारे अस्तित्व की निरन्तर परिवर्तित अवस्थाओं का न केवल प्रकटीकरण है बल्कि अन्वेषण भी। यदि कोई कलाकृति हमें नवीन दृष्टिबोध का उल्लास-अनुभव देने में असमर्थ है, तो जान लीजिए, वह केवल एक स्नायविक हलचल भर है, रचनात्मक अनुष्ठान की प्रक्रिया नहीं।

किसी साहित्यिक पत्रिका के सम्पादकीय में यदि हर बार अनेक चिन्तनपरक, हृदयग्राही सूक्त-वाक्य पढ़ने को मिलें, तो बहुत सम्भव है, आप भी मेरी तरह

डॉ. ब्रजरतन जोशी के सम्पादकीय पढ़ते हों। ऐसे विरल, साफ और स्पष्ट चिन्तन को समग्रता में पुस्तकाकार रूप में देखना मेरे लिए सुखद अनुभव है।

यह निश्चित ही डॉ. ब्रजरतन जोशी की अकादमिक दक्षता है जिसने उनके सुघड़ सम्पादन में राजस्थान साहित्य अकादेमी की पत्रिका ‘मधुमती’ को समकालीन साहित्य के लिए एक उर्वर और विचारोत्तेजक जमीन तैयार करने की निपुणता दी है। 

अपने इन लेखों में एक ओर वह सांस्कृतिक विषय उठाते हैं, दूसरी ओर विभिन्न विभूतियों के अवदान को रेखांकित करते हैं। मसलन ‘ग्रन्थमालाएँ और साहित्य’ या ‘आयोजन का मर्म’ विषय पर उनके उद्घाटन पढ़िए और उसके साथ गांधी, विवेकानन्द पर उनकी टीप। इसी तरह ‘साहित्य पगडंडी है, मार्ग नहीं’ के बरअक्स प्रसाद, रेणु और निर्मल पर लिखे उनके लेख पढ़ जाइए, आपके सामने एक बड़ा वितान स्वतः ही खुलता जाएगा। ज्ञान की विविध धाराओं पर डॉ. जोशी की जानकारी और पकड़ विस्मित तो करती ही है, समग्रता में अपनी परम्परा को जानने के लिए उल्लसित भी करती है।

—गगन गिल

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 108p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Brajratan Joshi

Author: Brajratan Joshi

ब्रजरतन जोशी

9 मई, 1973 को बीकानेर में जन्मे और वहीं पढ़े-लिखे ब्रजरतन जोशी बहुविध अनुशासनों में सक्रिय हैं। विगत पच्चीस वर्षों से वे साहित्य, आलोचना, सम्पादन, अनुवाद एवं अनुसन्धान के साथ-साथ पारम्परिक जल स्रोतों के अध्ययन में भी सक्रिय हैं। अब तक उनकी चार पुस्तकें एवं तेरह सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

वे भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद, दिल्ली के पोस्ट डॉक्टरल फेलो के साथ आईआईएएस, शिमला के एसोसिएट भी हैं। राजकीय महाविद्यालय, बीकानेर में हिन्दी के अध्यापक ब्रजरतन जोशी राजस्थान साहित्य अकादेमी, उदयपुर की प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका ‘मधुमती’ के सम्पादक रहे हैं। वर्तमान में साहित्य अकादेमी, दिल्ली के हिन्दी परामर्श मंडल के सदस्य भी हैं।

उन्हें राजस्थान सरकार के ‘संस्कृति संवर्धन सम्मान’ (2022) एवं राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के ‘संस्कृति सम्मान’ (2023) से सम्मानित किया गया है।

ई‌‌-‌मेल : drjoshibr@gmail.com

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