बिन्दु भट्ट का प्रथम प्रकाशित डायरी शैली का प्रयोगशील उपन्यास ‘मीरा याज्ञिक की डायरी’ एक ओर आधुनिकतावादी व्यक्ति-चेतना से जुड़ा था तो दूसरी ओर वह समलैंगिक संस्कार के कारण उत्तर-आधुनिकता को भी स्पर्श करता था; परन्तु उनका दूसरा उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ बीसवीं शती के अन्तिम दौर के दो दशकों में परवान चढ़े उत्तर-आधुनिकता के स्त्रीवादी, दलितवादी तथा देशीवादी प्रवाहों के निष्कर्ष को समाविष्ट करके स्पष्टतः समकालीन सामाजिक चेतना के साथ जुड़ता है।
—डॉ. चन्द्रकान्त टोपीवाला (प्रसिद्ध समीक्षक-कवि)
बिन्दु भट्ट का उपन्यास ‘अक्षय पात्र’ एक नारी के जीवन की वेदना के अक्षय पात्र की कथा है। जैसे अक्षय पात्र में कभी कोई वस्तु चुकती नहीं वैसे कंचनबा के जीवन में वेदना की लहर एक के बाद एक आती ही रहती है। परन्तु यदि वेदना ही इस उपन्यास का नाभिकेन्द्र होता तो उपन्यास में जो गहराई सिद्ध हुई है, कंचनबा के जीवन में जो अवबोध तथा यथार्थ की निरामयता प्रकट हुई है, वह सम्भव नहीं थी।
—मनसुख सल्ला (प्रसिद्ध समीक्षक-निबन्धकार)
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2011 |
Edition Year | 2021, Ed. 2nd |
Pages | 235p |
Price | ₹695.00 |
Translator | Virendra Narayan Singh |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 20 X 14 X 2 |