Ajeeb Aadmi-Hard Back

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9788126727018
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मंगला चोट खाई नागिन की तरह पलटकर ख़ुद ही को डसने लगी। उसके पति ने, जो उसका आशिक भी था, माशूक भी, उसके नारीत्व को ठुकराया था। उसके प्यार का अपमान किया था। उसकी कला का गला घोंट दिया था। कभी उसकी आवाज गली-कूचों में गूँजा करती थी, ख़ुद को सारी दुनिया पर छाई हुई महसूस करती थी। अब उसके गाने कभी-कभी ही रेडियो पर सुनाई देते। दुनिया ने उसे ज़‍िन्दा ही दफ़न करना शुरू कर दिया था। और इस कफ़न-दफ़न में धर्म—उसके पति का हाथ सबसे आगे था। अपनी फ़‍िल्मों के लिए रिज़र्व करके, फिर एकदम दो कौड़ी की एक लड़की जरीन की ख़ातिर उसे दूध की मक्खी की तरह निकल फेंका। आख़‍िर मंगला अपने अस्तित्व की रक्षा में सफल हो सकी? धर्मदेव और जरीन के प्यार का क्या हुआ? क्या वह परवान चढ़ सका; क्‍या फिर मंगला और धर्मदेव का मिलन हो सका? बहुचर्चित-प्रशंसित लेखिका इस्मत चुग़ताई का एक रोमांटिक उपन्यास है—‘अजीब आदमी’। इस उपन्यास में लेखिका ने फ़‍िल्म-जगत की रंगीनियों की यथार्थ झाँकी बड़ी बेबाकी से प्रस्तुत की है। बेहद रोचक और पठनीय उपन्यास।

 

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1972
Edition Year 2024, Ed. 5th
Pages 168P
Price ₹495.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Ismat Chugtai

Author: Ismat Chugtai

इस्मत चुग़ताई

जन्म : 21 जुलाई, 1915; बदायूँ (उत्तर प्रदेश)।

इस्मत ने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़े की दबी-कुचली-सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। इस्मत चुग़ताई पर उनकी मशहूर कहानी ‘लिहाफ़’ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में मुक़दमा चला, लेकिन ख़ारिज हो गया। ‘गेन्दा’ उनकी पहली कहानी थी जो 1949 में उर्दू साहित्य की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका 'साक़ी’ में छपी। उनका पहला उपन्यास ‘जि़द्दी’ 1941 में प्रकाशित हुआ। ‘मासूमा’, ‘सैदाई’, ‘जंगली कबूतर’, ‘टेढ़ी लकीर’, ‘दिल की दुनिया’, ‘अजीब आदमी’, ‘एक क़तरा ख़ून’ और ‘बाँदी’ उनके अन्य उपन्यास हैं। ‘कलियाँ’, ‘चोटें’, ‘एक रात’, ‘छुई-मुई’, ‘दो हाथ’, ‘दोज़ख़ी’, ‘शैतान’ आदि कहानी-संग्रह हैं। हिन्दी में ‘कुँवारी’ व अन्य कई कहानी-संग्रह तथा अंग्रेज़ी में उनकी कहानियों के तीन संग्रह प्रकाशित हैं जिनमें ‘काली’ काफ़ी मशहूर हुआ। कई फ़ि‍ल्में लिखीं और ‘जुनून’ में एक रोल भी किया। 1943 में उनकी पहली फ़ि‍ल्म ‘छेड़-छाड़’ थी। कुल 13 फ़ि‍ल्मों से वे जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़ि‍ल्म ‘गर्म हवा’ (1973) को कई अवार्ड मिले।

'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ के अलावा उन्हें 'इक़बाल सम्मान’, 'मख़दूम अवार्ड’ और 'नेहरू अवार्ड’ भी मिले। अदबी दुनिया में 'इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर, 1991 को हुआ। उनकी वसीयत के अनुसार मुम्बई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।

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