Aiwan-E- Ghazal

Author: Zilani Bano
Translator: Surjeet
You Save 10%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Aiwan-E- Ghazal

‘ऐवाने ग़ज़ल’ की फ़िज़ा परम्परा से शायराना चली आई है, लेकिन वक़्त, बदला, ज़मींदारी की पुख़्ता ज़मीनें खिसकने लगीं, सबकी बराबरी के नारे हवा में गूँजने लगे तो ऐवाने ग़ज़ल के आख़िरी शायर वाहिद हुसैन के पास दिल की बातें करने के लिए रंगीन परों वाली एक नन्ही-सी चिड़िया ही बच गई जो रोज़ उनके बाग़ में उनके पास आकर बैठती। ख़त्म होने पर आमादा इस कहानी को नई रफ़्तार बख़्शती है चाँद। बड़ी हवेली की नन्ही-मुन्नी खिलंदड़ी नवासी चाँद बड़ी होकर स्टेज पर पहुँचती है और एक असम्भव मुहब्बत में तपेदिक के हत्थे चढ़ जाती है। लेकिन जाते-जाते अपने पीछे छोड़ जाती है ग़ज़ल को। ग़ज़ल जिसने पैदा होने के बाद से प्यार और दुलार क्या होता है, नहीं जाना; बड़ी हुई तो ज़िन्दगी से उसने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी—प्यार। जो आख़िरकार उसे नहीं मिला और उसने अपना ख़ाली आँचल क्रान्ति के ऊपर फैला दिया। और नक्सली माँ-बाप की जंगलों में जन्मी इकलौती औलाद क्रान्ति ने जैसे ‘ऐवाने ग़ज़ल’ की पूरी परम्परा को ही उलटकर रख दिया। उसके कमरे में बम थे, जेब में पिस्तौल, हाथ में सिगरेट और चेहरे पर वह तेज़ जिसके सामने ऐवाने ग़ज़ल की दीवारों पर चस्पाँ तमाम हुस्नपरस्त शायर हक-दक रह गए। छोटी-छोटी तफ़सीलों से लबरेज़ एक बड़ी कहानी।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Edition Year 1999
Pages 304p
Translator Surjeet
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Aiwan-E- Ghazal
Your Rating
Zilani Bano

Author: Zilani Bano

जीलानी बानो

जन्म : 1936; बदायूँ (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (उर्दू)।

इनकी कहानियों और उपन्यासों से आज के समय के बदलते जीवन-मूल्यों और समाज में औरत की हैसियत का एहसास होता है। जीलानी बानो अपनी धरती और दुनिया को ही अपनी कहानियों का मज़मून बनाती हैं।

हैदराबाद की तहज़ीबी ज़िन्दगी पर उनका पहला उर्दू उपन्यास ‘ऐवान ग़ज़ल’ काफ़ी चर्चित हुआ। अब तक हिन्दी और गुजराती में इसका अनुवाद हो चुका है। नेशनल बुक ट्रस्ट की योजना इसे हिन्दुस्तान की चौदह भाषाओं में प्रकाशित करने की है। इनके एक अन्य उपन्यास का नाम है—‘बारिश-ए-संग’। इसका हिन्दी अनुवाद ‘पत्थरों की बारिश’ नाम से छपा। इसके अतिरिक्त नौ कहानी-संग्रह प्रकाशित।

इनकी कई कहानियों का अनुवाद विभिन्न देशी और विदेशी भाषाओं में हो चुका है। इन्होंने रेडियो और टी.वी. के लिए कई नाटक लिखे।

सम्मान : ‘ग़ालिब एवार्ड’ (1978), ‘सोवियत लैंड नेहरू एवार्ड’ (1985), ‘महाराष्ट्र उर्दू एकेडमी एवार्ड’ (1988), ‘हरियाणा उर्दू एकेडमी एवार्ड’ (1989), ‘पाकिस्तान का नुकुश एवार्ड’ (1991)। इनके अतिरिक्त कई अन्य पुरस्कार।

Read More
Books by this Author
Back to Top