Agneya Varsh-Paper Back

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9788126707294
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‘आग्नेय वर्ष’ फ़ेदिन की प्रसिद्ध उपन्यास-त्रयी के पहले उपन्यास ‘पहली उमंगें’ के पात्रों से हम जहाँ विदा लेते हैं, उसके कई वर्ष बाद, अक्टूबर क्रान्ति के भी दो वर्ष बाद, हमारी मुलाक़ात फिर उन्हीं पात्रों से एकदम नए परिवेश में होती है—‘आग्नेय वर्ष’ उपन्यास में। उपन्यास की शुरुआत में एक रूसी सैनिक जर्मन युद्धबन्दी शिविर से भागकर रूस पहुँचता है जहाँ क्रान्ति के बाद गृहयुद्ध की आग धधक रही है। लौटनेवालों में इज्वेकोव और रागोजिन भी हैं। सरातोव में उनकी मुलाक़ात पुराने दोस्तों और दुश्मनों से होती है। युद्ध और क्रान्ति के गुज़रे हुए दिनों ने सबके जीवन पर अलग-अलग ढंग से अमिट छापें छोड़ी हैं। उपन्यास में रागोजिन और इज्वेकोव—एक मज़दूर और एक बुद्धिजीवी बोल्शेविक का अन्तर्भेदी चित्रण प्रस्तुत किया गया है। दोनों ही एक शक्तिशाली ऐतिहासिक आन्दोलन की उपज हैं और नेता भी। दोनों ऐसे इंसान हैं जिनकी गहन-गम्भीर आन्तरिक दुनिया का उन अभूतपूर्व सामाजिक कार्यभारों के साथ पूरा सामंजस्य है, जो उनके सामने खड़े हैं। उपन्यास कला की दुनिया के उन बुद्धिजीवी सदस्यों का भी जीवन्त चित्र उपस्थित करता है जो स्वयं को वर्ग-पूर्वाग्रहों से मुक्त करते हैं और नए रूस के जीवन में भागीदारी करते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2003
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 508p
Price ₹500.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 3
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Konstantin Fedin

Author: Konstantin Fedin

कोंस्तान्तींन फ्रेदीन

जन्म : 24 फ़रवरी (पुराने कैलेंडर के अनुसार 12 फ़रवरी), 1892; सरातोव, रूस।

समाजवादी क्रान्ति और निर्माण के युगान्तरकारी समय तथा महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के दौरान अकूत क़ुर्बानियाँ देकर फासीवाद को धूल चटानेवाली सोवियत जनता के भौतिक-आत्मिक जीवन के सभी पहलुओं का दक्ष साहित्यिक दस्तावेजीकरण करनेवाले लेखकों में कोन्स्तान्तिन फ़ेदिन का नाम अग्रणी है।

एक छोटे व्यापारी के घर जन्मे फ़ेदिन अध्ययन के लिए जर्मनी में थे, जब प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस वापस लौटते समय उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। वे अक्टूबर क्रान्ति के बाद ब्रेस्त-लितोव्स्क की सन्धि होने पर वापस लौट सके। गृहयुद्ध के दौरान के तूफ़ानी वर्षों में फ़ेदिन घुड़सवार फ़ौज में शामिल होकर लड़े और सेना के अख़बार में काम किया। 1921 से 1924 तक उन्होंने ‘किताबें और क्रान्ति’ पत्रिका के सम्पादक के रूप में काम किया। इस दौरान वे लेख और कहानियाँ लिखते रहे। 1921 में वे विभ्रमग्रस्त मध्यवर्गीय युवा रूसी लेखकों के ग्रुप ‘सेरापियन ब्रदर्स’ से जुड़ गए। गोर्की के प्रभाव में फ़ेदिन ने इस ग्रुप से अपने को दूर कर लिया और उनके वैचारिक रूपान्तरण की शुरुआत हुई।

फ़ेदिन को साहित्य के लिए दो बार ‘स्तालिन पुरस्कार’ के साथ चार बार ‘लेनिन सम्मान’ और एक बार ‘अक्टूबर क्रान्ति सम्मान’ भी मिला था। इसके अतिरिक्त उन्हें देश-विदेश में कई सम्मान और पद-पुरस्कार मिले थे। 1959 से 1971 तक वे ‘सोवियत लेखक संघ’ के  प्रथम  सचिव  और  1971  से  उसके प्रशासकीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे।

निधन : 15 जुलाई, 1977; मास्को, सोवियत संघ।

 

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