Agin Pathar-Hard Back

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आज़ादी के साथ ही हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जो जख़्म देश के दिल में घर कर गया वो समय के साथ मिटने के बजाय रह-रहकर टीसता रहता है। इसे सींचते हैं दोनों सम्प्रदायों के तथाकथित रहनुमा। अफ़वाहों, भ्रान्तियों को हवा देकर साम्प्रदायिकता की आग भड़काई जाती है और उस पर सेंकी जाती है स्वार्थ की रोटी। चन्द गुंडे-माफ़‍िया अपनी मर्ज़ी से हालात को मनचाही दिशा में भेड़ की तरह मोड़ देते हैं और व्यवस्था अपने चुनावी समीकरण पर विचार करती हुई राजनीति का खेल खेलती है। प्रशासन को पता भी नहीं होता और बड़ी से बड़ी दुर्घटना हो जाती है। क़ानून के कारिन्दे सत्ता की कुर्सी पर बैठे नेताओं की कठपुतली बने रहते हैं। अपने को जनपक्षधर बतानेवाला लोकतंत्र का चौथा खम्‍भा भी बाज़ार की माँग के अनुसार अपनी भूमिका निर्धारित करता है। प्रिंट ऑर्डर बढ़ाने के चक्कर में सम्‍पादकीय नीति रातोंरात बदल जाती है और अख़बार किसी ख़ास सम्‍प्रदाय के भोंपू में तब्दील हो जाता है। साम्प्रदायिकता के इसी मंज़रनामे को बड़ी ही संवेदनशील भाषा में चित्रित करता है यह उपन्यास ‘अगिन पाथर’। मगर इस चिन्‍ताजनक हालात में भी रामभज, अरशद आलम, चट्टोपाध्याय, हरिभाई चावड़ा, इला और शान्‍तनु जैसे आम लोग जो मानवीयता की लौ को बुझने नहीं देते। ‘अगिन पाथर’ व्यास मिश्र का पहला उपन्यास है, मगर इसका शिल्प-कौशल और भाषा-प्रवाह इतना सधा हुआ और परिमार्जित है कि पाठक इसे एक बैठक में ही पढ़ना चाहेंगे।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 407p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Vyas Mishra

Author: Vyas Mishra

व्यास मिश्र

जन्म : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गाँव अमृत पाली में 22 फरवरी, 1955 को हुआ। साहित्यिक अभिरुचि बचपन से ही।

शिक्षा : 1976 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बिजिनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातकोत्तर। सरकारी सेवा में आने के बाद 1995 में पटना विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री।

1980 में आई.पी.एस. में चयनित। दो वर्षों तक पुलिस प्रशासक के रूप में सेवा। 1982 से भारतीय प्रशासनिक सेवा में। बिहार एवं केन्द्र सरकार के विभिन्न महकमों/मंत्रालयों में अनेक पदों पर रहे। वर्तमान में केन्द्र सरकार के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के सचिव के रूप में नई दिल्ली में पदस्थापित। जनपक्षधर, ईमानदार, कर्मठ, संवेदनशील अधिकारी के रूप में बिहार के दूर-दराज़ गाँवों तक चर्चित।

कृतियाँ : विभिन्न विषयों पर पत्र-पत्रिकाओं में लेख, निबन्‍ध और कविताएँ प्रकाशित। प्राथमिक शिक्षा पर ‘गहरे पानी पैठ’ पुस्‍तक राजकमल प्रकाशन से वर्ष 2000 में प्रकाशित। 'अगिन पाथर’ पहला लेकिन बहुचर्चित उपन्‍यास।

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