Aakhiri Manzil

Author: Ravindra Verma
Edition: 2008, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Aakhiri Manzil

वरिष्ठ क़लमकार रवीन्द्र वर्मा के उपन्यास ‘आख़िरी मंज़ि‍ल’ के कवि-नायक में एक ओर ऐसी आत्मिक उत्कटता है कि वह अपने शरीर का अतिक्रमण करना चाहता है, दूसरी ओर अपनी अन्तिम आत्मिक हताशा में भी उसे आत्महत्या से बचे किसान का सपना आता है जो उसका पड़ोसी है और जिसका घर ‘ईश्वर का घर’ है। हमारे कथा-साहित्य में अक्सर ये आत्मिक और सामाजिक चेतना के दोनों धरातल बहुत-कुछ अलग-अलग पाए जाते हैं। यह उपन्यास मनुष्य की चेतना के विविध स्तरों की पूँजीभूत खोज है—उनकी सम्भावनाओं और सीमाओं की भी। इसमें चेतना के आत्मिक-आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू एक-दूसरे से अन्तर्क्रिया करते हुए एक-दूसरे से अपना रिश्ता ढूँढ़ते हैं। ऐसा लगता है जैसे चेतना के विभिन्न स्तर एक-दूसरे से मिलकर एक संश्लिष्ट, पूर्ण, बेचैन मानव-अस्मिता रच रहे हैं जिसमें सारे तार एक-दूसरे में गुँथे हैं।

इस भोगवादी समय में कलाकार की नियति से जुड़ा सफलता और सार्थकता का द्वन्द्व और भी तीखा हो गया है। यह द्वन्द्व इस आख्यान का एक मूलभूत आयाम है जिसके माध्यम से मनुष्य की नियति की खोज सम्भव होती है। यह खोज अन्ततः एक त्रासद सिम्फ़नी में समाप्त होती है।

रवीन्द्र वर्मा अपने क़िस्म के अनूठे रचनाकार हैं। कथ्य और शिल्प के मामले में परम्परा और आधुनिकता का जो सम्मिलन उनके इस नए उपन्यास में दिखाई देता है, वह अद्वितीय है।

साहित्य-समाज की मौजूदा तिक्तता और संत्रास तथा प्रकाशन और पुरस्कार की राजनीति को जानने-समझने का अवसर मुहैया करानेवाला अत्यन्त ज़रूरी उपन्यास।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 127
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Ravindra Verma

Author: Ravindra Verma

रवीन्द्र वर्मा

जन्म : 1 दिसम्बर, 1936 को झाँसी (उत्तर प्रदेश) में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा झाँसी में। 1959 में प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. (इतिहास)।

सन् 1965 से कहानियों का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनारम्भ। अपनी विशिष्ट छोटी कहानियों के रूप में एक नई कथा-विधा के प्रणेता माने जाते हैं। कुछ आलोचनात्मक लेखन भी।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘कोई अकेला नहीं है’, ‘पचास बरस का बेकार आदमी’ (कहानी-संग्रह); ‘क़िस्सा तोता सिर्फ़ तोता’, ‘गाथा शेखचिल्ली’, ‘माँ और अश्वत्थामा’, ‘जवाहरनगर’, ‘निन्यानबे’, ‘पत्थर ऊपर पानी’, ‘मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगा’, ‘दस बरस का भँवर’, ‘आख़िरी मंज़िल’ (उपन्यास)।

कुछ कहानियों का देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। ‘आख़िरी मंज़िल’ का पंजाबी में।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

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