Aadivasi Prem Kahaniyan-Paper Back

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‘आदिवासी प्रेम कहानियाँ' में इतिहास के अमर पात्रों के प्रेम और संघर्ष को रोचकता और प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया गया है। इन कहानियों में झारखंड का आदिवासी परिवेश, प्रकृति, परिस्थितियाँ, आदिवासियों का जीवन, उनकी सहज प्रवृत्तियाँ और स्वतंत्रता-संग्राम में अंग्रेज़ी सत्ता के साथ उनके द्वारा किया गया संघर्ष उभरकर आया है।

ग़ौरतलब है कि औपनिवेशिक काल में अंग्रेज़ी समाज शोषण और सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध था। अंग्रेज़ों के शोषण और अन्याय से मुक्ति के लिए आदिवासियों ने संघर्ष की ज़मीन रची और विद्रोह किए। आदिवासियों के न्याय-प्रेम और सुन्दरता की ओर अंग्रेज़ी समाज आकर्षित भी हुआ। और यही प्रेम की उत्स-भूमि है। चाहे वह सिदो और जेली हो, चाहे बुन्दी और सन्दु हो, चाहे बीरबन्ता बजल और जेलर को बेटी हो, चाहे मँगरी और रोजवेलगुड हो, चाहे बादल और मैग्नोलिया हो; सबके प्रेम की उत्स-भूमि न्याय-प्रेम और संघर्ष है। इसलिए इन नौ कहानियों में प्रेम के सच्चे स्वरूप के दर्शन होते हैं। जहाँ बहुत सहजता के साथ प्रेम जीवन में प्रवेश करता है और उसी के प्रति पूर्ण समर्पण भाव है। इन प्रेम कहानियों में कुछ का अन्त सुखान्त है तो कुछ का दुखान्त।

पाठक पाएँगे कि इन कहानियों के माध्यम से अपनी जातीय संस्कृति और अपनी भूमि के प्रति मर मिटने के अद्भुत ज़ज्बे से लैस आदिवासियों के प्रेम और संघर्ष का जो चित्रण है, वह हमें नए तरीक़े से देश के इतिहास को समझने के लिए बाध्य करता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 142p
Price ₹199.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Ashwini Kumar Pankaj

Author: Ashwini Kumar Pankaj

अश्विनी कुमार पंकज

जन्म : 1964; डॉ. एम.एस. 'अवधेश' और स्मृतिशेष कमला की सात सन्‍तानों में से एक।

शिक्षा : कला स्नातकोत्तर।

1991 से ज़‍िन्दगी और सृजन के मोर्चे पर वन्दना टेटे की सहभागिता। पिछले तीन दशकों से अभिव्यक्ति के सभी माध्यमों—रंगकर्म, कविता-कहानी, आलोचना, पत्रकारिता, डाक्यूमेंटरी, प्रिंट और वेब में रचनात्मक उपस्थिति। झारखंड एवं राजस्थान के आदिवासी जीवनदर्शन, समाज, भाषा-संस्कृति और इतिहास पर विशेष कार्य।

‘उलगुलान संगीत नाट्य दल’, राँची के संस्थापक सदस्य। 1987 में रंगमंचीय त्रैमासिक पत्रिका ‘विदेशिया’ (राँची) का प्रकाशन-सम्‍पादन; 1995 में भाकपा-माले राजस्थान के मुखपत्र ‘हाका’, 2006 में राँची से लोकप्रिय मासिक नागपुरी पत्रिका ‘जोहार सहिया’ और पाक्षिक बहुभाषी अख़बार ‘जोहार दिसुम खबर’ का सम्पादन; फ़‍िलवक़्त रंगमंच एवं प्रदर्श्यकारी कलाओं की त्रैमासिक पत्रिका ‘रंगवार्ता’ और बहुभाषायी त्रैमासिक पत्रिका ‘झारखंडी भाषा, साहित्य, संस्कृति : अखड़ा’ के प्रकाशन से सम्बद्ध।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘पेनाल्टी कॉर्नर’, ‘इसी सदी के असुर’, ‘सालो’, ‘अथ दुड़गम असुर हत्या कथा’ (कहानी-संग्रह); ‘जो मिट्टी की नमी जानते हैं’, ‘ख़ामोशी का अर्थ पराजय नहीं होता’ (कविता-संग्रह), ‘युद्ध और प्रेम’, ‘भाषा कर रही है दावा’ (लम्बी कविता); ‘छाँइह में रउद’ (दुष्यंत कुमार की ग़जलों का नागपुरी अनुवाद); ‘एक अराष्ट्रीय वक्तव्य’ (विचार); ‘नागपुरी साहित्य का इतिहास’ (भाषा साहित्य); ‘रंग-बिदेसिया’ (भिखारी ठाकुर पर), ‘उपनिवेशवाद और आदिवासी संघर्ष’, ‘आदिवासीडम’ और ‘प्राथमिक आदिवासी विमर्श’ (सम्‍पादन); ‘मरड़ गोमके जयपाल सिंह मुंडा’ (जीवनी); ‘माटी माटी अरकाटी’ (उपन्यास) प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें।

 

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