Zakir Saheb Ki Kahani Unki Beti Ki Zubani

Edition: 2009, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Zakir Saheb Ki Kahani Unki Beti Ki Zubani

ज़ाकिर साहब के जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर करनेवाली पुस्तक : ‘ज़ाकिर साहब की कहानी : उनकी बेटी की ज़ुबानी।’

लेखिका ने ज़ाकिर साहब को बहुत निकट से देखा है और उनके अन्तरंग जीवन को बड़े आदर के साथ परखा है।

प्रस्तुत पुस्तक में ज़ाकिर साहब की जीवनी प्रारम्भ से लेकर अन्त तक दी गई है। उनकी ज़िन्दगी के अनेक उतार-चढ़ाव को मार्मिक स्पर्श दिया गया है। जहाँ इसमें ज़ाकिर साहब की चरित्रगत विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है, वहीं उनके कुछ महत्त्वपूर्ण संस्मरणों को भी रेखांकित किया गया है, जिनके माध्यम से ज़ाकिर साहब का व्यक्तित्व अपनी सम्पूर्ण आभा के साथ प्रस्फुटित होता है।

इस पुस्तक की सबसे बड़ी ख़ूबी है रोचकता के साथ इसकी प्रस्तुति। कहने का ढंग इतना निराला कि पढ़ते ही बनती है। हर आयु का व्यक्ति इसको पढ़कर ज़रूर आनन्द ले सकता है। किशोरों के लिए तो यह विशेष रूप से उपयोगी है। यह पुस्तक निश्चित रूप से उन्हें बहुत कुछ सोचने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा के साथ-साथ देश का अच्छा और सच्चा नागरिक बनने की सूझबूझ, व्यापक उदार दृष्टि और राष्ट्रप्रेम प्रदान करेगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Author: Syeda Khursheed Alam

सय्यदा खुर्शीद आलम

स्व. सय्यदा खुर्शीद जी का जन्म 1927 में हुआ था, उनके पिता जाकिर हुसैन की वो बड़ी बेटी थी. उनकी शुरूआती पढाई सरकारी विद्यालय में हुई और अट्ठारह कि उम्र में उनकी शादी खुर्शीद आलम खान से हुई. उनकी जिंदगी कि शुरुआत गृहणी और माँ बनने से हुई लेकिन घर के कामों को जिम्मेदारी पूर्ण निभाते हुए उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और अलीगढ़ विश्वविद्यालय से B.A. कि डिग्री हासिल की.

सय्यदा खुर्शीद जी दयालु एवं मददगार व्यक्तित्व की थीं, मिस. इंदिरा गाँधी कि चाह थी कि वे राजनीति में वृत्त बनाये मगर सय्यदा खुर्शीद जी ने खुद के बेटे और पति सलमान खुर्शीद को उनके राजनीतिक वृत्त में मदद करने का निर्णय लिया. उन्होंने उनके चुनाव क्षेत्र फरुखाबाद में उनके लिए काम किया. वह कांग्रेस पार्टी के लिए काम करती रहीं, जब उन्होंने नई दिल्ली संसद के लिए चुनाव लड़ा तभी उनकी किताब ‘जाकिर साहिब कि कहानी उनकी बेटी कि जुबानी’ एक जीवनी प्रकाशित हुई.

सय्यदा खुर्शीद जी का देहावसांत 2015 में हुआ.

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