प्रस्तुत नाट्य शृंखला समाज के विभिन्न किरदारों को माध्यम बनाकर समाज के अमानवीय कृत्यों को उजागर कर यथार्थ को परदे के सामने लाती है। साथ ही जहाँ नाटक ‘वाह रे गोविन्दा वाह में’, मर्द दिवस की गुदगुदाने वाली परिकल्पना से पाठक और दर्शकों का जमकर मनोरंजन करती है वहीं ‘मैं इकबाल’ नाटक की रचना समाज के दिग्भ्रमित युवाओं को सच्ची और उजियारी राह पर लाने के लिए मशाल का काम करती है। नाटक की विषयवस्तु में किसी तरह का पांडित्य प्रदर्शन नहीं बल्कि अनछुए विषयों को बड़ी ही रोचकता के साथ स्पर्श किया गया है।
नाटक के हर दृश्य को मंच पर बड़ी सुगमता से दर्शाया जा सकता है। इसमें सन्देह नहीं। एक में हास्य रस की चाशनी है तो दूसरे में यथार्थ का कड़ुवा घूँट...।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2021 |
Edition Year | 2021, 1st Ed. |
Pages | 120p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |