दुनिया की सर्वाधिक प्रतिष्ठित नारीवादी लेखिका ग्लोरिया स्टायनेम ने अपने कुछ शुरुआती साल भारत में बिताए हैं। जिस दौरान ग्लोरिया भारत में थीं, वे इस गाँधीवादी विचार से प्रभावित हुईं कि परिवर्तन को हमेशा एक वृक्ष की तरह नीचे से ऊपर की ओर बढ़ना चाहिए। इसके बाद, अमेरिका और विश्व-भर के नारीवादी आन्दोलनों के लिए किए गए अपने कई दशकों के काम से उन्होंने सीखा कि कर्ता और कारक, शासक और शासित, 'मर्द’ और 'औरत’ के रूप में मनुष्यों के झूठे बँटवारे की आड़ में हिंसा और वर्चस्व का सामान्यीकरण किया जाता रहा है।
'वजूद औरत का’ में, ग्लोरिया स्टायनेम और एक्टिविस्ट रुचिरा गुप्ता ने साथ मिलकर ग्लोरिया के कुछ अभूतपूर्व निबन्धों को प्रस्तुत किया है। ये वे निबंध हैं जो अपने लिखे जाने के बाद से, सीमाओं से बेपरवाह दुनिया-भर में पहुँच गए और आधुनिक नारीवादी विचारों के एक बड़े हिस्से के लिए नींव तैयार की। इन पन्नों में, ग्लोरिया ने यह सच्चाई खोलकर रख दी है कि स्त्री-शरीर पर नियंत्रण के ज़रिए ही नस्ली और जाति तथा वर्ग आधारित भेद-भाव अपनी जड़ें जमाए हुए हैं—ग्लोरिया यह भी बताती हैं कि किस-किस तरह से स्त्री और पुरुष इस नियंत्रण के लिए आपस में लड़ रहे हैं। वह बड़े ही शानदार ढंग से पुरुषत्व के प्रति अडोल्फ़ हिटलर की सनक का विश्लेषण करती हैं और उसके व्यक्तित्व में जड़ें जमाते हुए हिंसा के लैंगिक विचार को उभरता हुआ पाती हैं। उन्होंने कामुक साहित्य (इरोटिका) और पोर्नोग्राफ़ी के अंतर को समझाया है और स्पष्ट किया है कि यह अन्तर दोनों लिंगों के मध्य सम्बन्धों को नियंत्रित करनेवाली असमानता के कारण पैदा होता है। एक प्लेबॉय बनी के रूप में बिताए अपने कुछ दिनों के मार्मिक अनुभव के अलावा इस किताब में ग्लोरिया द्वारा देह-व्यापार के लिए की जानेवाली मानव तस्करी पर लिखा गया और अब तक अप्रकाशित निबन्ध 'तीसरी राह’ भी शामिल है।
'वजूद औरत का’ एक अध्ययनशील नज़रिए से लिखी गई किताब है जिसमें काफ़ी गहराई है। इस किताब को ऐसे अन्दाज़ में लिखा गया है कि इसमें मौजूद जटिल बहसें भी सहजता के स्पर्श के कारण पढ़नेवाले को एकदम सरल रूप में समझ आती हैं। इस संग्रह में आपको नए विचार, ग़ुस्सा, गम्भीरता और हँसी और एक दोस्त, सबकुछ मिलेगा।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2020 |
Edition Year | 2020, Ed. 1st |
Pages | 328p |
Translator | Bhawna Mishra |
Editor | Ruchira Gupta |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 3 |