Vaivahik Jeewan

Author: K. P. Bhagwat
Translator: Kamla Bhave
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Vaivahik Jeewan

यह पुस्तक विवाह और स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर एक समग्र अध्ययन है। मूल मराठी में कई संस्करणों में पढ़ी जा चुकी यह क्लासिक कृति न सिर्फ़ मानव समाज में विवाह संस्था के इतिहास तथा स्वरूपों पर विचार करती है, बल्कि एक साधारण दम्पति के लिए सुखमय वैवाहिक जीवन की व्यावहारिक मार्गदर्शिका भी उपलब्ध कराती है।

विश्व के विभिन्न क्षेत्रों तथा इतिहास के अलग-अलग चरणों में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की रूढ़ियों और रूपों की जो विस्तृत जानकारी इस पुस्तक में जुटाई गई है, वह जहाँ सेक्स से सम्बन्धित हमारे जड़ पूर्वग्रहों को भंग करती है, वहीं स्वस्थ और सन्तुलित यौन जीवन का मार्ग भी प्रशस्त करती है। जिन विषयों को यह कृति अपने दायरे में लेती है, उनमें से कुछ हैं : विवाह संस्था का स्वरूप, भविष्य व संरचना; विवाह में साथी का चुनाव, जननेन्द्रियों की रचना, कामपूर्ति, सन्तति नियोजन, मातृत्व, यौन-विकृतियाँ, मनोविकृतियाँ तथा वैवाहिक जीवन का मानसिक पक्ष आदि।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 258p
Translator Kamla Bhave
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.8
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Author: K. P. Bhagwat

के.पी. भागवत

जन्म : 1913 ई., शिक्षण पुणे स्थित नूतन मराठी विद्यालय, सर परशुराम भाऊ कॉलेज तथा मुम्बई के गोवर्धनदास सुन्दरदास मेडिकल कॉलेज में। फ़ाइनल एम.बी.बी.एस. तक अध्ययन करने के बाद कारणवश अध्ययन छोड़ना पड़ा। यहीं मनोविज्ञान में रुचि निर्माण हुई। तदुपरान्त इस विषय का स्वयं अध्ययन किया।

सन् 1942 में ‘आई बाप व मुले’ (माता-पिता एवं बच्चे) तथा 1946 में ‘वैवाहिक जीवन’ मराठी ग्रन्थों का लेखन। बालकों से सम्बन्धित अभिभावकों की शिकायतों के सम्बन्ध में मार्गदर्शन करनेवाली ‘बालमार्गदर्शनकेन्द्र’ नामक एक संस्था की पुणे में स्थापना। 1951 तक उसका संचालन।

सन् 1959 में पुणे स्थित शिक्षण प्रसारक मंडली को बीस हज़ार रुपयों का सशर्त अनुदान दिया। विश्वविद्यालय में 1961 तक एम.ए. के विद्यार्थियों को प्रायोगिक मनोविज्ञान इत्यादि विषयों में प्रयोग-मार्गदर्शन किया। 1961 में नौकरी से त्यागपत्र तथा ‘आनन्द एजेन्सी’ नामक मनोवैज्ञानिक उपकरण-साधन-सामग्री बनाने के कारख़ाने की स्थापना।

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