जीवन, ज़मीन और प्रकृति के अद्भुत कवि हैं अशोक कुमार महापात्र। अनुभूति की ऐसी सघन यात्रा के कवि कि संवेदना अपनी रिक्तता में भी मुखर हो उठती है। संघर्ष और सपने अपनी सम्पूर्णता के लिए पूरी जिजीविषा के साथ अपनी क्रियात्मकता में घटित होते प्रतीत होते हैं। अपने काव्य-वितान के लिए एक ऐसे विज़न का कवि जिसके पास मनुष्य और उसकी पीड़ा को रचने के लिए हज़ारों रंग हैं।

'उत्तरार्द्ध' जितना काल भीतर, उतना ही काल बाहर देखने और रचने का काव्य-कर्म है। यथार्थ से टकराने में जिस तरह आस्था, उसी तरह स्मृतियाँ भी साथ, ताकि सम के केन्‍द्र में विषम के गाढ़ापन को गहरे जाना जा सके और मिथ्या मानने से इनकार किया जा सके। कवि भूख को जब भूख की आँखों से देखता है, तब अपने आन्‍तरिक ब्रह्मांड की गति का हिस्सा होता है, तभी तो 'माया-लोक' में ऋतुओं के 'छाया-लोक' को रच पाता है।

भौतिकता में अपनी दृष्टि का तब एक और गहरा परिचय देता है कवि, जब जन और तंत्र के बीच शतरंज के गणित को हल करते ताल को आत्मसात् करता है; और सम्‍बन्‍धों को जीवन की आँच के साथ सँजोता है। तेज़ी से बदलती हुई इस दुनिया में पीढ़ियों का द्वन्द्व मानो म्नात साक्ष्य, लेकिन यह कवि की कुशलता ही है कि इसे भी एक नए रूप में रच लेता है। रच लेता है जैसे-सृष्टि के सौन्दर्य के साथ प्रेम का बृहद् आख्यान।

अपने बीते-अनबीते को बार-बार देखने और देखे हुए को कला और उसकी गति में जीने का कविता-संग्रह है—'उत्तरार्द्ध'।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Vinod Prakash Gupta
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Ashok Kumar Mahapatra

Author: Ashok Kumar Mahapatra

अशोक कुमार महापात्र

जन्म : 26 जनवरी, 1948 को तिरटोल, ज़‍िला—कटक (अब जगतसिंहपुर) में हुआ। शुरू से मेधावी छात्र रहे। 'उत्कल विश्वविद्यालय' से 1968 में एम.ए. (इतिहास) करने के बाद उसी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्राध्यापक-पद पर नियुक्त। 1968 से 1970 तक अध्यापन। 1970 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित।

आप सलाहकार के रूप में यू.के., यू.एस.ए., जापान, टोंगा, ऑस्ट्रेलिया, अफ़्रीका आदि कई देशों में सेवाएँ भी प्रदान कर चुके हैं।

आपका कविता-संग्रह 'माई आफ़्टरनून पोयम्स' अंग्रेज़ी में प्रकाशित।

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