Underworld Ke 4 Ikke

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Underworld Ke 4 Ikke
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सत्तर से नब्बे के दशकों में गिरोह सरगना बहुतेरे हुए लेकिन उनमें असली खिलाड़ी चार थे जिन्हें तत्कालीन अंडरवर्ल्ड का उस्ताद कहा जा सकता है। इनके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। ज़्यादातर तो उनके क़िस्से ही चलते हैं जिनमें काफ़ी झूठ शामिल होता है। मुम्बई अंडरवर्ल्ड के ये चार बादशाह थे—करीम लाला...वरदराजन मुदलियार...हाजी मिर्ज़ा मस्तान...लल्लू जोगी...।

इन सबके अपने-अपने गिरोह थे, काम करने का अपना-अपना तरीक़ा था, लेकिन ये आपस में कभी नहीं लड़ते थे। उनके बीच एक अपने ही ढंग का भाईचारा था। हाजी मस्तान के बाक़ी तीनों से मधुर सम्बन्ध थे। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि इन चारों ने शायद ही कभी अपने हाथ से किसी को गोली या चाकू मारा हो।

वे सब एक युग के हैं। सभी उसूलों वाले थे। ख़ूनख़राबा कोई नहीं करता था और तस्करी को वे ग़लत नहीं मानते थे। ऐसी बहुत सारी बातें हैं उनकी जो एक जैसी थीं लेकिन सबका अपना एक अलग व्यक्तित्व भी था। इसी कारण सबके साथ क़िस्म-क़िस्म की किंवदन्तियाँ भी जुड़ी हैं।

गिरोह सरगना एक अपने-आप में अनूठा और अलबेला व्यक्तित्व था।

‘अंडरवर्ल्ड के चार इक्के’ में इन चारों सरगनाओं की ज़िन्दगी के हर रंग को खोलने की कोशिश की गई है। इनके व्यक्तित्व से लेकर एक-दूसरे के साथ इनके रिश्तों और इनके धन्धों की प्रामाणिक जानकारी दी गई है।

यह एक ऐसा दस्तावेज़ है, जिसमें पहली बार इन सरगनाओं के बारे में सत्य का उद्घाटन गहरे शोध के आधार पर किया गया है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 112p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
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Vivek Agrawal

Author: Vivek Agrawal

विवेक अग्रवाल

विवेक अग्रवाल 1985 से अपराध, क़ानून, सैन्य, आतंकवाद और आर्थिक अपराधों की खोजी पत्रकारिता कर रहे हैं। बतौर अपराध संवादताता विवेक 1993 में राष्ट्रीय अख़बार 'जनसत्ता’ से जुड़े और मुम्‍बई माफिया पर दर्जनों खोजी रपटें प्रकाशित कीं। 'जनमत’ चैनल जो बाद में 'लाइव इंडिया’ बना, में भी लम्बी पारी खेली। मराठी चैनल 'मी मराठी’ से भी जुड़े। अपराध जगत पर उनकी विशेषज्ञता का लाभ हॉलैंड के मशहूर चैनल 'ईओ’ तथा 'एपिक’ भी उठा चुके हैं।

आपकी चर्चित किताबें—‘मुंभाई’, ‘मुंभाई रिटर्न्स’ और ‘खेल खल्लास’ है। 'अंडरवर्ल्ड बुलेट्स’ नाम से अगली किताब शीघ्र प्रकाश्य।

 

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