Tejasvini : Akka Mahadevi Ke Vachan

Author: Akka Mahadevi
Translator: Gagan Gill
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹187.50 Regular Price ₹250.00
25% Off
In stock
SKU
Tejasvini : Akka Mahadevi Ke Vachan
- +
Share:

बारहवीं सदी के तीसरे दशक में, सन् 1130 के आसपास कभी उनका जन्म हुआ था, दक्षिण भारत, कर्नाटक के शिवमोगा जिले के एक गाँव उदूतड़ी में। शिव-भक्त माता-पिता के घर में।

परम्परा कहती है, वह अनन्य सुन्दरी थीं।

मनुष्य सुन्दरता सहन करने के लिए नहीं बने। सुन्दरता उनमें सदा से हिंसा जगाती आई है। तिस पर एक स्त्री की सुन्दरता, भक्त मन वाला उसका आलोक, उसकी आभा, उसकी तन्मयता!

सुन्दरी महादेवी को कभी न कभी वेध्य होना ही था।

लेकिन उन्हें किसी दूसरे ने नहीं वेधा। यह उपक्रम उन्होंने स्वयं ही किया।

कब महादेवी पहले-पहल स्त्री देह के वस्त्र से मुक्त हुईं, फिर काया के भीतर के मल-मूत्र से, कब वह मात्र आलोक खोजता केवल एक भक्त-मन रह गईं—उनकी जीवन-यात्रा सहज ही हमें सदियों से रोमांचित करती आ रही है, लगभग विमूढ़ और अवाक् करती।

ये जो उन अक्का महादेवी के वचन हमें आज व्याकुल कर देते हैं, ये उनके बोल, जो उन्होंने कभी लिखे नहीं थे, सुधारे या काटे-छाँटे नहीं थे। न ये कविताएँ थीं, न छंद। एक भक्त स्त्री के दिल की अग्नि ने इन्हें तपाया था, इन स्ववचनों को, एकालापों को।

यह उनके वचनों का हिन्दी रूपांतरण है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Gagan Gill
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Tejasvini : Akka Mahadevi Ke Vachan
Your Rating

Author: Akka Mahadevi

अक्का महादेवी 

अक्का महादेवी का जन्म 12वीं शताब्दी में कर्णाटक  में हुआ था। वह भगवान शिव को अपना पति मानती थीं। उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव की भक्ति में समर्पित कर दिया था। जब वे युवा हुईं तो स्थानीय राजा उन के अप्रतिम सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया। परिवार ने उनका विवाह राजा से कर दिया, पर अक्का महादेवी इस लौकिक सम्‍बन्‍ध से उदासीन रहीं। उन्‍होंने खुद को शिव कि प्रति समर्पित रखा और राजमहल छोड़ दिया। उन्‍होंने वस्‍त्र और आभूषण भी त्‍याग दिए और शिव को समर्पित सैंकड़ों वचन लिखे। उनका निधन अल्‍प आयु में ही हो गया। उनके कन्‍नड़ में रचे गए वचन आज समूचे दक्षिण भारत में प्रचलित हैं। उन्‍हें वीरशैव सम्‍प्रदाय  के महान भक्‍तों में शुमार किया जाता है।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top