Teen Sau Ramayane Evam Anya Nibandh

Author: Sanjeev Kumar
Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Teen Sau Ramayane Evam Anya Nibandh
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विवेक और विमर्श की अवहेलना करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने ए.के. रामानुजन के प्रसिद्ध आलेख ‘थ्री हंड्रेड रामायणाज़ : फ़ाइव एक्ज़ाम्पल्ज़ एंड थ्री थॉट्स ऑन ट्रांसलेशन’ को अक्टूबर, 2011 में अपने पाठ्य-क्रम से निरस्त कर दिया था। कुछ अवान्तर उपद्रव भी प्रकट हुए थे। इस आलेख को सर्वसुलभ बनाने एवं सम्यक् विश्लेषित करने के उद्देश्य से संजीव कुमार ने इसका हिन्दी अनुवाद किया। यह अनुवाद ‘नया पथ’ पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ।

प्रस्तुत पुस्तक के केन्द्र में यही आलेख है। पुस्तक की भूमिका के अनुसार, ‘जिन्होंने भी रामानुजन के आलेख को पढ़ा है, उन्होंने महसूस किया है कि यह शोध और विश्लेषण की गहराई का कितना नायाब नमूना है। और यह कि हिन्दू भावनाओं को आहत करना तथा रामकथा पर कोई नकारात्मक टिप्पणी करना तो दूर, यह लेख रामकथा के सांस्कृतिक महत्त्व, उसकी आश्चर्यजनक व्यापकता और अर्थगर्भत्व का—जिसके कारण उसके शताधिक रूप प्रचलित हैं—एक अद्भुत निदर्शन है। लेखक की इस गुणवत्ता का साक्षात्कार करनेवाले के मुँह से आह निकलती है कि काश, हिन्दुत्व के पैरोकारों को थोड़ा पढ़ने का शऊर भी होता।

यह किताब रामानुजन के आलेख को आपके सामने पेश करने के साथ-साथ ख़ूबसूरती के ख़िलाफ़ खड़े इन लोगों की ख़बर देती और लेती भी है। यहाँ रामानुजन के अलावा कामिल बुल्के हैं, रोमिला थापर हैं, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और प्रभात कुमार बसन्त हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Sanjeev Kumar

Author: Sanjeev Kumar

संजीव कुमार  

जन्म : 10 नवम्बर, 1967 (पटना)।

शिक्षा : पटना विश्वविदयालय से बी.ए. और दिल्ली विश्वविदयालय से एम.ए., एम.फ़‍िल्., पीएच.डी.। फ़‍िलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज में एसोशिएट प्रोफ़ेसर।

किताबें : ‘जैनेन्द्र और अज्ञेय : सृजन का सैद्धान्तिक नेपथ्य’ (2011 के ‘देवीशंकर अवस्थी सम्मान’ से सम्मानित), ‘तीन सौ रामायणें और अन्य निबन्‍ध’ (सम्पादित), ‘बालाबोधिनी’ (वसुधा डालमिया के साथ सह-सम्‍पादन), योगेन्द्र दत्त के साथ मिलकर वसुधा डालमिया की पुस्तक ‘नेशनलाइजेशन ऑफ़ हिन्दू ट्रेडिशन : भारतेन्‍दु हरिश्चन्‍द्र एंड नाइनटीन्थ सेंचुरी बनारस’ का हिन्‍दी में ‘हिन्दू परम्पराओं का राष्ट्रीयकरण : भारतेन्‍दु हरिश्चन्‍द्र और उन्नीसवीं सदी का बनारस’ शीर्षक से अनुवाद, तेलंगाना संग्राम पर केन्द्रित पी. सुन्दरैया की किताब के संक्षिप्त संस्करण का हिन्‍दी में अनुवाद ‘तेलंगाना का हथियारबंद जनसंघर्ष’।

आलोचना के अलावा गाहे-बगाहे व्यंग्य, कहानी, निबन्‍ध, संस्मरण जैसी विधाओं में लेखन। 2009 से ‘जनवादी लेखक संघ’ की पत्रिका ‘नया पथ’ के सम्‍पादन से जुड़ाव और 2018 से ‘राजकमल प्रकाशन’ की पत्रिका ‘आलोचना’ के सम्‍पादन की शुरुआत।

 

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