‘तीन साल’ आदर्श और यथार्थ के द्वन्द्व से परिपूर्ण एक मर्मस्पर्शी उपन्यास है, जिसका कथानायक एक ऐसा नौजवान है जो संस्कारों की घुटन और थोथे हवाई आदर्शों की दुनिया में पला होने के कारण कभी अपने वातावरण से समझौता नहीं कर पाता। 'विवाह और प्रेम', 'प्रेम और विवाह', 'सुखी गृहस्थ जीवन'—आख़‍िर ये सब भ्रमोत्पादक विचार ही हैं जिनमें वह काफ़ी समय तक उलझा रहता है, और अन्तत: इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि 'व्यक्ति को ख़ुशी के विचारों को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए...सुख नाम की कोई चीज़ नहीं है...।' और तब वह पुराने ढर्रे के जीवन का आदि होते हुए भविष्य का इन्तज़ार करने लगता है; क्योंकि 'कौन जानता है कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है!' इस उपन्यास के ज़रिए लेखक ने परम्परा से चली आती आदर्शमूलक भ्रान्तियों पर तीव्र प्रहार किया है।

‘तीन साल’ उन्नीसवीं सदी के महान रूसी उपन्यासकार एन्तोन चेख़व की अमर कृति है, जिसका विश्व-साहित्य में सानी नहीं...।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1977
Edition Year 2018, Ed. 4th
Pages 124p
Translator Markandey
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Anton Chekhav

Author: Anton Chekhav

एंतोन चेखव

जन्म : 17 जनवरी, 1860 (तागन रोग)।

पिता बन्‍धुआ मज़दूर थे। उन्होंने मालिक की पूरी क़ीमत चुकाकर स्वतंत्रता ख़रीदी और दुकान शुरू की। बचपन पिता के अनुशासनी अत्याचारों में बीता। लेखन के आधार पर ही डॉक्टरी की पढ़ाई की। कहानियाँ, नाटक, एकांकी लेखन।

मृत्यु : 2 जुलाई, 1904

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