Hansini

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Author: Anton Chekhav
Translator: Rajendra Yadav
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Hansini
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हंसनी मुख्य रूप से कलाकारों के अपने रचनात्मक और व्यक्तिगत जीवन के बीच तालमेल न बैठा पाने की पीढ़ी का लेखा-जोखा है। प्रतिष्ठित अभिनेत्री आर्कदीना स्थापित और लोकप्रिय लेखक त्रिगोरिन के प्रेम के बिना ज़‍िन्दा नहीं रह सकती। त्रिगोरिन रचना-कर्म को बेहद नीरस पाता है, मगर लिखने के लिए अभिशप्त है। उसे अपनी जड़ता तोड़ने के लिए हर बार नई उत्तेजना कि तलाश है और इसकी शिकार होती है—नीना अर्थात् आर्कदीना के पुत्र तेपलेव की प्रेमिका। दोनों को नाटक और लेखन की यानी जीवन के नए मुहावरों की तलाश है।

इस जटिल और उलझी हुई थीम को जिस ख़ूबसूरती से चेख़व ने नाटक का रूप दिया है, वह पूरी दुनिया के नाटकों के इतिहास में अभूतपूर्व है।

इस सन्दर्भ में अनुवादक राजेन्‍द्र यादव का कथन है : चेख़व की रचनाओं की आत्मीयता, करुणा और ख़ास क़‍िस्म की निराश उदासी (लगभग आत्मदया जैसी) मुझे बहुत छूती है। मैं उसके प्रभाव से लगभग मोहाच्छन्न था। उसी श्रद्धा से मैंने इन नाटकों को हाथ लगाया था। रूसी भाषा नहीं जनता था, मगर अधिक से अधिक ईमानदारी से उसके नाटकों की मौलिक शक्ति तक पहुँचाना चाहता था। इसलिए तीन अंग्रेज़ी अनुवादों को सामने रखकर एक-एक वाक्य पढ़ता और मूल को पकड़ने कि कोशिश करता। आधार बनाया मॉस्को के अनुवाद को। बाद में सुना, अनुवादों को पाठकों ने पसन्‍द किया, अनेक रंग-संस्थानों और रेडियो इत्यादि ने इन्हें अपनाया, पाठ्यक्रम में भी उन्हें लिया गया।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1958
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 96p
Translator Rajendra Yadav
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Editorial Review

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Anton Chekhav

Author: Anton Chekhav

एंतोन चेखव

जन्म : 17 जनवरी, 1860 (तागन रोग)।

पिता बन्‍धुआ मज़दूर थे। उन्होंने मालिक की पूरी क़ीमत चुकाकर स्वतंत्रता ख़रीदी और दुकान शुरू की। बचपन पिता के अनुशासनी अत्याचारों में बीता। लेखन के आधार पर ही डॉक्टरी की पढ़ाई की। कहानियाँ, नाटक, एकांकी लेखन।

मृत्यु : 2 जुलाई, 1904

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