अत्याचार का एक रूप स्वैराचार है। हम यह भी कह सकते हैं कि स्वैराचार ही अत्याचार की राह है। स्वैराचार का अर्थ है—व्यक्ति-मन का लोक-मन और लोक-मत से सर्वथा विलगाव। सामान्य भाषा में कहें तो मनमानापन। अपनी इच्छा इतनी प्रबल हो जाए कि समाज के सारे अनुशासन उसके समक्ष बौने हो जाएँ तो इसे ही स्वैराचार कहते हैं।

स्वैर-भाव दूषित मनोवृत्ति है। इसके परिणाम भयंकर होते हैं। पूरी मानवीय सभ्यता पर यह प्रश्नचिन्ह है। आज तमाम सामाजिक विकृतियों, दूषित पर्यावरण ने समाज में स्वैर-भाव को बढ़ावा दिया है, और कामेच्छा सड़कों पर नृत्य कर रही है। दैनंदिन की घटनाओं में इसका प्राधान्य है और ऐसे में कोई कवि-मन शिक्षाविद् इससे विचलित-विगलित न हो, यह सम्भव नहीं है।

कवि-हृदय श्री रामप्रकाश ‘प्रकाश’ ने इसी चिन्ता को पूरे ऐतिहासिक-पौराणिक परिप्रेक्ष्य में अपनी काव्यकृति ‘स्वैर’ में विस्तार से वर्णन किया है। समाचार-पत्रों में प्रकाशित तमाम घटनाओं ने प्रसिद्ध शिक्षाविद्, शिक्षा विभाग से जुड़े प्रशासकीय दायित्व से संपृक्त तथा प्रकृत्या कवि रामप्रकाश ‘प्रकाश’ को उद्वेलित किया और उनकी वेदना कविता के रूप में प्रवाहित हो उठी। अन्तर केवल इतना है कि उन्होंने स्वैरियों को निषाद की भाँति केवल अप्रतिष्ठा का शाप न देकर सुधरने का सन्देश दिया है।

सुधार की यह अपेक्षा कवि ने मानव स्वभाववश की है। उन्हें मानवता पर अटूट विश्वास है। ‘स्वैर’ निश्चित रूप से वेदना का काव्य है। मिट्टी को मान माननेवाले देश में नारी के विरुद्ध स्वराचार कितना जघन्य है, इसका मार्मिक चित्र कवि ने प्रस्तुत किया है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 179p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Ram Prakash

Author: Ram Prakash

रामप्रकाश

जन्म : 15 जुलाई, 1931; गाँव—जराही, ज़ि‍ला—मुलतान (वर्तमान पाकिस्तान)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्‍दी, पंजाबी), पीएच.डी., भाषाविज्ञान में डिप्लोमा।

पत्राचार पाठ्यक्रम एवं अनुवर्ती शिक्षा विद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में हिन्‍दी विभाग में वर्षों अध्‍यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘आचार्य अमीरदास और उनका साहित्य’, ‘समीक्षा सिद्धान्त’, ‘मीराबाई की काव्य-साधना’, ‘आधुनिक कवि’, ‘पंजाब का हिन्दी साहित्य’ (आलोचना); ‘पगडंडी’, ‘बोली सलाख़ें’, ‘पिघलते पत्थर’, ‘सफ़र जारी है’ (उपन्‍यास); ‘राष्ट्रभाषा व्याकरण एवं रचना’, ‘मानक हिन्दी : संरचना एवं प्रयोग’, ‘व्यावहारिक एवं प्रायोगिक हिन्दी’, ‘समाचार एवं प्रारूप-लेखन’ (भाषाशिक्षण); ‘पत्रकारिता सन्‍दर्भ कोश’, ‘अभिनव पर्यायवाची कोश’ (कोश); ‘भाई गुरुदास रचित कवित्त सवैये (अनुवाद)।

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