Prayojanmoolak Hindi : Sanrachana Evam Anuprayog

Edition: 2023, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Prayojanmoolak Hindi : Sanrachana Evam Anuprayog

शताब्दियों से ‘राष्ट्रभाषा’ के रूप में प्रतिष्ठित और लोक-व्यवहार में प्रचलित ‘हिन्दी’ पिछले कई दशकों से ‘राजभाषा’ के संवैधानिक दायरे में भी विकासोन्मुख है। ‘राष्ट्रभाषा’ की मूल प्रकृति तथा ‘राजभाषा’ की संवैधानिक स्थिति को अलगानेवाली प्रमुख रेखाएँ आज भी शिक्षित समाज के बहुत बड़े वर्ग के लिए अस्पष्ट-सी हैं। इसके लिए जहाँ हिन्दी भाषा के उद्भव से लेकर ‘मानक’ भाषा तथा ‘राष्ट्रभाषा’ स्वरूप धारण करने तक की सुदीर्घ विकास-परम्परा का सर्वेक्षण आवश्यक है, वहीं 14 सितम्बर, 1949 ई. से लेकर आज तक के समस्त संवैधानिक प्रावधानों, नियमों-अधिनियमों एवं शासकीय आदेशों और संसदीय संकल्पों आदि का सम्यक् अनुशीलन भी वांछनीय है। इस अनुशीलन-प्रक्रिया के दौरान तत्सम्बन्धी समस्याओं तथा उनके व्यावहारिक समाधान के समायोजन का उपक्रम भी अपेक्षित है।

आज इन अपेक्षाओं के दायरे और भी विस्तृत हो गए हैं क्योंकि हिन्दी अब लोक-व्यवहार की सीमाओं से आगे बढ़कर, विभिन्न शैक्षणिक, प्रशासनिक, व्यावसायिक तथा कार्यालयी स्तरों पर भी अपनी प्रयोजनमूलकता प्रतिपादित करने के दायित्व-निर्वाह की ओर अग्रसर है। इस दायित्व-निर्वाह का निकष है—उसके संरचना-सामर्थ्य का अनुप्रयोगात्मक कार्यान्वयन। इस दिशा में विभिन्न स्तरों पर विविध प्रयास चल रहे हैं, किन्तु उनमें एकरूपता, पारस्परिक एकसूत्रता तथा समन्वयशीलता का अभाव होने से, अनेक समस्याएँ गत्यावरोध का कारण बन रही हैं। इन्हीं समस्याओं के निवारण हेतु हिन्दी के प्रयोजनमूलक संरचना-सूत्रों के समुचित संयोजन तथा उनकी अनुप्रयोगात्मक सम्भावनाओं के समन्वित-सुसंग्रथित रेखांकन का विनम्र प्रयास इस पुस्तक का लक्ष्य है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1997
Edition Year 2023, Ed. 4th
Pages 324p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Prayojanmoolak Hindi : Sanrachana Evam Anuprayog
Your Rating
Ram Prakash

Author: Ram Prakash

रामप्रकाश

जन्म : 15 जुलाई, 1931; गाँव—जराही, ज़ि‍ला—मुलतान (वर्तमान पाकिस्तान)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्‍दी, पंजाबी), पीएच.डी., भाषाविज्ञान में डिप्लोमा।

पत्राचार पाठ्यक्रम एवं अनुवर्ती शिक्षा विद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में हिन्‍दी विभाग में वर्षों अध्‍यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘आचार्य अमीरदास और उनका साहित्य’, ‘समीक्षा सिद्धान्त’, ‘मीराबाई की काव्य-साधना’, ‘आधुनिक कवि’, ‘पंजाब का हिन्दी साहित्य’ (आलोचना); ‘पगडंडी’, ‘बोली सलाख़ें’, ‘पिघलते पत्थर’, ‘सफ़र जारी है’ (उपन्‍यास); ‘राष्ट्रभाषा व्याकरण एवं रचना’, ‘मानक हिन्दी : संरचना एवं प्रयोग’, ‘व्यावहारिक एवं प्रायोगिक हिन्दी’, ‘समाचार एवं प्रारूप-लेखन’ (भाषाशिक्षण); ‘पत्रकारिता सन्‍दर्भ कोश’, ‘अभिनव पर्यायवाची कोश’ (कोश); ‘भाई गुरुदास रचित कवित्त सवैये (अनुवाद)।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top