Smriti Gandh

Author: Veena Sinha
Edition: 2008, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Smriti Gandh

‘ब्लर्ब’ पर छपनेवाली सम्मतियाँ अक्सर खातिरन् लिखी जाती हैं, जिनमें अमूमन तआरुफ़ और तारीफ़ की बातें रहती हैं—कोई मूल्यांकन नहीं। शायद, कहानियों की इस किताब को रस्मी तौर पर लिखी गई ऐसी सम्मति की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इस संग्रह की कई कहानियों की अपनी औक़ात है।

अधिकतर कहानियों के कथा-कलन में बया के घोंसले जैसी संकुल और कलापूर्ण बुनावट है, जिसमें लेखिका इशारतन एक साथ कई बातें कह देती है। मानो इसकी कहानी उस चाकू या क़लमतराश की तरह है, जिसमें कई छुरियाँ एक साथ रहती हैं। ख़ासकर स्त्री-विमर्श से जुड़ी हुई कहानियाँ पठनीय हैं, जो मुनिया और अंजू जैसे चरित्रों के पक्ष में खुलकर खड़ी हैं और पुंप्रभुत्व से पीड़ित इस अलील समाज को दवा की कड़ी खुराक ही नहीं देना चाहती हैं, बल्कि उसे बेहोश किए बिना नश्तर भी लगा देना चाहती हैं। यह दूसरी बात है कि इस तासीर की कहानियों में भी कहीं-कहीं पुराने समाज के ‘सेंसर-मोरोंस’ के भय के साथ-साथ ‘प्यूडेंडा’—केन्द्रिक शब्दों व क्रियाओं के कथन से परहेज़ की झलक मिल जाती है।

अन्तर्यात्रा की ख़ास बातों को इशारों से कहने में माहिर और बर्फ़ के गाले में ‘आग’ को ढोने-सुलगानेवाली ये कहानियाँ इसलिए भी सराही जाएँगी कि घन की चोट से यथास्थिति को तोड़कर ‘अदल-बदल’ लाने की सूझ-समझ वाली हर कोशिश किसी नए ‘भिनसार’ को क़रीब लाती है।

—डॉ. कुमार विमल।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 119p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Veena Sinha

Author: Veena Sinha

वीणा सिन्हा

जन्म : सन् 1940 वाराणसी।

अपने को व्यक्त करने के लिए किसी-न-किसी माध्यम का चुनाव हर व्यक्ति करता है। आपने लिखने को अपना माध्यम चुना। आरम्भ ही कहानियों के लेखन से हुआ। दर्जनों कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कुछ कहानियों का बांग्ला में अनुवाद भी हुआ है।

रेडियो के लिए कुछ नाटक भी लिखे हैं। 'आधुनिका’ और 'अन्तर्यात्रा’ शीर्षक दो उपन्यास भी छप चुके हैं। राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित आपके 'स्मृति गंध’ कहानी-संग्रह की कुछ कहानियों पर विश्वविद्यालय की छात्राओं ने शोध भी किया है।

प्राग, बर्लिन, वारसा, मास्को आदि की यात्रा और विभिन्न सांस्कृतिक बैठकों में आप भागीदारी कर चुकी हैं। आपने लन्दन, पेरिस एवं रोम की यात्रा भी की है।

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