Shabdon Ka Mandal

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Shabdon Ka Mandal
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यह पुस्तक हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ लेखक अशोक वाजपेयी के कृतित्व की प्रमुख काव्यात्मक स्पेसों का भाष्यपरक (हर्मेन्यूटिक) विश्लेषण है। पुस्तक के चार अध्याय उन महत्त्वपूर्ण नृतात्त्विक प्रश्नों पर केन्द्रित हैं जो इस कवि के सन्दर्भ में साधनभूत हैं, इस कवि के सन्दर्भ में विश्व के साथ एकत्व के सिद्धान्त की खोज की प्रक्रिया में भाषा को अस्तित्व के एक रूप और विस्तार में बदल देता है। लेखिका ने दर्शाया है कि किस तरह वाजपेयी भारतीय और पाश्चात्य सांस्कृतिक परम्पराओं का सहयोजन करते हुए अपनी कविता को ‘सभ्यताओं के बीच’ स्थित करते हैं, जहाँ वह काव्यात्मक सम्प्रेषण के मौलिक और आकर्षक पैटर्नों का रूप लेते विमर्श का आत्मनिर्भर विमर्श बनती है। यह पुस्तक आधुनिक वैश्वीकृत दुनिया में पूरब और पश्चिम की सांस्कृतिक मुठभेड़ के एक महत्त्वपूर्ण प्रकरण को चित्रित करती है।

मूर्धन्य आलोचक मदन सोनी द्वारा किया गया पुस्तक का हिन्दी अनुवाद मूलतः पोलिश भाषा में लिखी गई पुस्तक के (स्वयं रेनाता चेकाल्स्का द्वारा किए गए) अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 275p
Translator Madan Soni
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Renata Czekalska

Author: Renata Czekalska

रेनाता चेकाल्स्का

जन्म : 15 फरवरी, 1966।

रेनाता चेकाल्स्का क्रैकोव (पोलैंड) के येगिलोनियॅन विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफ़ेसर हैं। भारत और दक्षिण एशिया की सांस्कृतिक विरासत पर केन्द्रित सांस्कृतिक अध्ययन उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र है। उनकी अनुसन्धानपरक दिलचस्पियों में समकालीन भारतीय साहित्य, भारतीय उपमहाद्वीप का आधुनिक इतिहास, दक्षिण एशिया की समकालीन सामाजिक-राजनैतिक समस्याएँ, दक्षिण एशियाई भाषाओं से और इन भाषाओं में किए जानेवाले अनुवादों के सिद्धान्त और व्यावहारिकी तथा अन्तरसांस्कृतिक सम्प्रेषण शामिल हैं। लेखक, अनुवादक और सम्पादक के रूप में उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं।

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