Satyajit Rai: Pather Panchali Aur Film Jagat

Author: Mahendra Mishra
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Satyajit Rai: Pather Panchali Aur Film Jagat

‘सत्यजित राय : पथेर पांचाली और फ़िल्म जगत्’ यह पुस्तक ‘पथेर पांचाली’ जैसी कालजयी फ़िल्म के बहाने इस महान सिने-निर्देशक के कला-कर्म को जानने-समझने की सच्ची और गहरी कोशिश से पैदा हुई एक ऐसी कृति है, जिसे हिन्दी में एक नई शुरुआत की तरह देखा जा सकता है। इस पुस्तक को पढ़ना सिर्फ़ एक वैचारिक फ़िल्मी दस्तावेज़ से गुज़रना नहीं, बल्कि एक अनुभव-समृद्ध विवेकशील गाइड के साथ सत्यजित राय के रंगारंग कला-संसार के उन अनेक कोनों और गलियारों से गुज़रना है, जिन्हें बहुतों ने देखा नहीं और जिन्होंने देखा, वे लगभग भूल चुके हैं। अस्तु, यह कृति दोनों ही कार्यों को पूरा करती है—नए पाठकों को यहाँ एक महान कला-सर्जक से परिचित होने का सुख मिलेगा और पुरानों को अभिज्ञान का एक विलक्षण आनन्द।

इस पुस्तक के लेखक महेन्द्र मिश्र की पहली विशेषता तो यही है कि वे पेशेवर अर्थ में फ़िल्म-समीक्षक नहीं हैं। वस्तुतः वे प्रकृति से कवि-विचारक हैं, कर्म से एक अनुभव-सिद्ध पूर्व प्रशासक और रुचि से एक गहरे फ़िल्म-प्रेमी। इसीलिए पूरी पुस्तक की भाषा और व्याख्या-विश्लेषण में एक सहज अनौपचारिकता की गंध मिलेगी, जो इसे इस प्रकार के समस्त लेखन से भिन्न और विशिष्ट बनाती है। असल में यह पुस्तक सत्यजित राय के वृहत् कला-संसार की ओर खुलनेवाली एक खिड़की है—सम्भवतः हिन्दी की पहली ऐसी खिड़की, जिससे आती हुई रोशनी पर भरोसा किया जा सकता है। यह रोशनी पाठकों तक पहुँचेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

—केदारनाथ सिंह

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 188p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.2 X 14.5 X 1.6
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Mahendra Mishra

Author: Mahendra Mishra

महेन्द्र मिश्र

सन् 1938, एटा जनपद, उत्तर प्रदेश के एक गाँव में जन्म। पिता संस्कृत साहित्य और आयुर्वेद के आचार्य थे और जीविका से शिक्षक। भाषा और साहित्य में अभिरुचि विरासत में मिली।

महेन्द्र मिश्र अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. हैं। चार वर्ष वह आगरा और जबलपुर विश्वविद्यालयों में अंग्रेज़ी के व्याख्याता रहे। सन् 1962 में भारतीय रेल यातायात सेवा में प्रवेश किया और 1996 में अपर सदस्य (यातायात), रेलवे बोर्ड एवं विशेष सचिव, रेल मंत्रालय के पद से सेवानिवृत्त हुए।

उनके अध्ययन का क्षेत्र विविध है जिसमें हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के साथ-साथ उर्दू और बांग्ला का साहित्य भी शामिल है। उनके प्रिय साहित्यकारों और लेखकों की सूची में निकोलाई गोगोल, ग्राहम ग्रीन, नोम चोम्स्की, एडवर्ड सईद, इतिहासकार एरिक हॉब्सबॉम, मानिक बन्द्योपाध्याय, सुभाष मुखोपाध्याय, अली सरदार जाफ़री, जयकान्तन, नागार्जुन और मुक्तिबोध प्रमुख हैं। साहित्य में वह मानवीय प्रतिबद्धता के क़ायल हैं।

उनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं—‘ताज की छाया में’ और ‘अनायास वर्षा’। प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक सत्यजित राय के कृतित्व पर उनकी पुस्तक ‘सत्यजित राय : पथेर पांचाली और रचना जगत’ राजकमल प्रकाशन से 2006 में प्रकाशित हुई। राय के सिनेमा पर यह समग्र समीक्षा पुस्तक बांग्ला में अनूदित हुई और 2007 में आनन्द पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित हुई। रेल पर उन्होंने दो पुस्तकें लिखी हैं—‘रेल परिवहन का स्वरूप’ और ‘भारतीय रेल के सुनहरे पन्ने’।

सेवानिवृत्ति के बाद दिल्ली में रहकर वे फ़िलस्तीन के संघर्ष और विशाल बाँधों और परियोजनाओं की मानवीय त्रासदी के अध्ययन में संलग्न हैं।

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