Samay Ke Saranarthi

Author: Raju Sharma
You Save 15%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Samay Ke Saranarthi

राजू शर्मा कथा-जगत के बाजार, विपणन—उसकी व्यूह-रचना और महफ़िलों से अलग रहनेवाले महत्त्वपूर्ण कहानीकार हैं। इसीलिए उनकी कहानियाँ समकालीन कहानी की रूढ़ियों, टोटकों और लोक-लुभावन नुस्ख़ों से विरत अपना रचनात्मक मुहावरा स्वयं तैयार करती हैं।

राजू शर्मा के इस कहानी-संग्रह ‘समय के शरणार्थी’ की केन्द्रीय आवाज़ मौजूदा सभ्यता में सत्ता और तंत्र का आखेट बने साधारण मनुष्य की है। जैसा कि संग्रह की अद्भुत कहानी ‘कदाशय-सदाशय’ का एक वाक्य है—‘सिस्टम की दृष्टिहीनता के समक्ष इनसान की बेबसी’। राजू शर्मा की कहानियाँ इसी बेबसी से मुक्ति के लिए तंत्र की अभेद्य दिखती क़िलेबन्दी का सन्धान करती हैं। उसकी क्रूरता, उसकी ख़ुदग़र्ज़ी, उसकी संवेदनहीनता को जिस विलक्षणता और बेधकता के साथ राजू शर्मा ने उजागर किया है, वह हिन्दी कहानी में विरल है। उनके यहाँ सत्ता से भिड़न्त की शहीदाना मुद्रा, भारी-भरकम बजते हुए शब्दों का बड़बोलापन, अतिरंजित घटनाएँ और नाटकीय कथोपकथन नहीं है, राजू शर्मा संजीदा कथाकार की तरह मुश्किल से अर्जित हो सकने वाले रचनात्मक धैर्य से तंत्र के भयानक रूप से फैले संजाल की शिनाख़्त करते हैं और उसे छिन्न-भिन्न करते हैं।

‘समय के शरणार्थी’ की कहानियाँ हिन्दी कहानी की पूर्व प्रदत्त कथन-शैलियों के बजाय अपनी निर्मिति के लिए नवीन रूपविधान का आविष्कार करती हैं। कहानी की परम्परागत संरचना में ऐसी सृजनात्मक तोड़-फोड़ कम कथाकार कर पाते हैं। दरअसल राजू शर्मा यथार्थ को जिस तरह प्रकट करने की ठानते हैं और जिस तरह तंत्र के अन्याय और उसका आखेट बने मनुष्य की पीड़ा को एक साथ दर्ज करते हैं, वह रूढ़ ढाँचे में मुमकिन नहीं। राजू शर्मा जानबूझकर कहानी की नई शक्ल नहीं बनाते, बल्कि अपनी रचना-प्रक्रिया में कहानी की पुरानी संरचना का ऐसा विखंडन करते हैं कि एक भिन्न और मौलिक ढाँचा तैयार हो जाता है, जिसमें सच्चाई के विविध अर्थों और उनके एकाधिक पाठ को निवास करने के लिए जगह होती है।

—अखिलेश

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2004, Ed. 1st
Pages 164p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Samay Ke Saranarthi
Your Rating
Raju Sharma

Author: Raju Sharma

राजू शर्मा

1959 का जन्म। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर। लोक प्रशासन में पीएच.डी..। 1982 से 2010 तक आईएएस सेवा में रहे। उसके बाद से स्वतंत्र लेखन, मुसाफ़रत और यदा-कदा की सलाहनवीसी।

लेखन के अलावा रंगकर्म, फ़िल्म व फ़िल्म स्क्रिप्ट लेखन में विशेष रुचि व रुझान।

प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास : ‘हलफनामे’, ‘विसर्जन’।

कहानी-संग्रह : ‘शब्दों का खाकरोब’, ‘समय के शरणार्थी’, ‘नहर में बहती लाशें’।

नाटक : ‘भुवनपति’, ‘मध्यम वर्ग का आत्मनिवेदन या गुब्बारों की रूहानी उड़ान’, ‘जंगलवश’।

अनेक नाटकों का अनुवाद व रूपान्तरण।

ई-मेल : rajushar@gmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top