Rekhaon Mein Ruka Aakash

Author: Premlata
Edition: 2008, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Rekhaon Mein Ruka Aakash

कुछ अनसुलझे सवाल आदमी के मनो-मस्तिष्क में इतनी मज़बूती से जड़ें जमाए रखते हैं कि उनका हल हमारे सामने होता है लेकिन हम करते नहीं, कर नहीं पाते या हम करना नहीं चाहते और लगे रहते हैं एक अन्तहीन उधेड़बुन में।

हमारा जीवन रिश्तों में बँधा होता है लेकिन जीवन की मौजूदा चुनौतियों और तनावों के चलते रिश्तों को निभाना आज बहुत ही दुष्कर हो गया है।

‘रेखाओं में रुका आकाश’ हमारे अतीत और वर्तमान का कोरा सच है। यथार्थ से जुड़ी हुई ये वो कहानियाँ हैं, जिन्हें हम जीने के लिए अभिशप्त हैं।

इन कहानियों में मनुष्य का जीवन, मन, आशा, निराशा सब कुछ है। प्रेम और व्यक्ति के जीवन में उसकी विभिन्न छायाओं, प्रतिच्छायाओं का अंकन करती हुई ये कहानियाँ हमारी संवेदना को एक नया आकार देती हैं। पात्रों का चयन, भाषा और कहने की शैली का अनूठापन भी इन कहानियों की एक विशेषता है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 163p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Author: Premlata

प्रेमलता

जन्म : 14 मई, 1952; पंजाब।

शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली विश्वविद्यालय), डिप्लोमा अनुवाद (गृह मंत्रालय, भारत सरकार), एल.एल.बी. (दिल्ली विश्वविद्यालय), शोधकार्य—‘कृष्णा सोबती का कथा साहित्य’। प्रबन्धन प्रशिक्षण (मानव संसाधन विभाग, कलकत्ता), वाणिज्यिक विधि, श्रमिक विधि, आर्बिट्रेशन, संविधा विधि प्रशिक्षण (अनुसन्धान एवं विकास केन्द्र, राँची)।

कार्य : अध्यापन—कार्मिल कॉन्वेन्ट स्कूल, दुर्गापुर एवं दिल्ली विश्वविद्यालय (नान कॉलेजिएट, छात्राएँ); प्रोजेक्ट विभाग, सतर्कता विभाग, विधि विभाग, कार्मिक विभाग का कार्य (स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लि.), कार्मिक विभाग व विधि विभाग में विधिक परामर्शदाता व विभागाध्यक्ष; सदस्य (जज) उपभोक्ता फ़ोरम, पश्चिमी क्षेत्र, नई दिल्ली। अब सेवानिवृत्‍त।

प्रमुख कृतियाँ : ‘स्वीकार किया मैंने’, ‘रेखाओं में रुका आकाश’ (कहानी-संग्रह); ‘गर्म राख के नीचे’ (कविता-संग्रह); ‘विधि व्यवस्था का यथार्थ’, ‘उपभोक्ता क़ानून’ (विधिक पुस्तकें) आदि।

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