Rakta Ganga : Virangana Avantibai Ki Shaurya Gatha

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Rakta Ganga : Virangana Avantibai Ki Shaurya Gatha

वीरांगना अवन्तीबाई लोधी के जीवन-संघर्ष को आधार बनाकर 'रक्तगंगा' नामक इस ऐतिहासिक उपन्यास की रचना तथ्यों के आधार पर की गई है। इस उपन्यास के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन को प्रकाश में लाते हुए समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया गया है। रानी के त्याग, बलिदान, अटूट राष्ट्रभक्ति, शौर्य, अदम्य साहस, रणकौशल, प्रबल इच्छाशक्ति, अपराजेयता, संगठनशक्ति, आत्म-विश्वास, दृढ़ निश्चय, जनता के प्रति प्रेम एवं सद्भावना पर प्रकाश डालते हुए रानी के व्यक्तित्व को भली-भाँति उजागर किया गया है।

वीरांगना के जन्म से लेकर बलिदान होने तक की सम्पूर्ण शौर्यगाथा का वर्णन, सरल तथा ओजपूर्ण भाषा-शैली में लिखा गया है। यह उपन्यास सदैव देशवासियों के राष्ट्रप्रेम का संवर्द्धन करता रहेगा।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 359p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Iqbal Bahadur Devsare

इक़बाल बहादुर देवसरे

आपका जन्‍म सन् 1896 में हुआ। आपने ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना करके हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाया। तेरह वर्ष की आयु में ही आपने उर्दू में एक उपन्यास लिखा 'सरमाए नाज'। ऐतिहासिक उपन्यास-रचना की ओर आपका झुकाव 1955-56 में हुआ। पहले 'नालन्‍दा' की रचना हुई, फिर 'शाहे-अवध' लिखा गया, इसके बाद 'ओरछा की नर्तकी', 'मस्तानी', 'जाने आलम', 'नवाब बेमुल्क',  'बेगम हजरत महल', 'तानसेन', 'सुल्ताने-मालवा', 'गुलफाम मंज़‍िल', 'रक्तगंगा', 'परीख़ाना' और 'बाबा कहि कहि जाँहि' की रचना की। 'तपस्या' नामक सामाजिक उपन्यास भी लिखा।

आपके ऐतिहासिक उपन्यासों की विशेषता यह है कि वे तथ्य और ऐतिहासिक घटनाक्रम को तोड़ते नहीं, बल्कि उनके ही आधार पर पूरी कथा चलती है।

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