इस पुस्तक में रहस्यवाद जैसे गूढ़, गहन और अस्पष्ट विषय पर साहित्य और दर्शन के अध्येता डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी ने स्पष्ट और सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत किया है। पुस्तक पाँच अध्यायों में विभक्त है। प्रथम अध्याय—स्वरूप तथा प्रकार; द्वितीय अध्याय—अनुभूत रहस्य तत्त्व का स्वरूप; तृतीय अध्याय—रहस्यानुभूति की प्रक्रिया; चतुर्थ अध्याय—साधनात्मक रहस्यवाद; पंचम अध्याय—रहस्य की अभिव्यक्ति।

रहस्यवाद के स्वरूप पर विचार करते हुए लेखक ने स्पष्ट किया है कि रहस्यवाद ‘मिस्टीसिज़्म’ का रूपान्तर नहीं है बल्कि स्वतंत्र शब्द है और स्वतंत्र रूप में यह शब्द भारतीय प्रयोगों के आधार पर सुनिश्चित अर्थ से सम्पन्न है। ‘अनुभूत रहस्य तत्त्व का स्वरूप’ बताते हुए लेखक ने उपनिषद, तंत्र एवं नाथसिद्ध विचार परम्परा के आधार पर रहस्यानुभूति की व्याख्या की है।

पुस्तक का सबसे महत्त्वपूर्ण अध्याय ‘रहस्यानुभूति की प्रक्रिया’ है जिसमें लेखक ने कबीर, जायसी आदि प्राचीन सन्त कवियों एवं प्रसाद, महादेवी आदि आधुनिक छायावादी कवियों के काव्य में प्राप्त रहस्यानुभूति के विविध रूपों का विवेचन किया है। रहस्यवादी कवियों की रूपगत और शिल्पगत विशेषताओं के विवेचन की दृष्टि से इस पुस्तक का अन्तिम अध्याय 'रहस्य की अभिव्यक्ति' विशेष रूप से द्रष्टव्य है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2018, Ed. 3rd
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Rahasyavad
Your Rating

Author: Rammurti Tripathi

राममूर्ति त्रिपाठी

जन्म : 4 जनवरी, 1929; जन्म-स्थान : नीवी कलाँ, वाराणसी (उ.प्र.)।

शिक्षा : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच.डी.; साहित्याचार्य, साहित्यरत्न।

काव्यशास्त्र एवं दर्शन के प्रकांड पंडित। हिन्दी विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष-पद से सेवानिवृत्त।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘व्यंजना और नवीन कविता’, ‘भारतीय साहित्य दर्शन’, ‘औचित्य विमर्श’, ‘रस विमर्श’, ‘साहित्यशास्त्र के प्रमुख पक्ष’, ‘लक्षणा और उसका हिन्दी काव्य में प्रसार’, ‘रहस्यवाद’, ‘काव्यालंकार सार संग्रह और लघु वृत्ति की (भूमिका सहित) विस्तृत व्याख्या’, ‘नृसिंह चम्पू’ (व्याख्या), ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’, ‘कामायनी : काव्य, कला और दर्शन’, ‘आधुनिक कला और दर्शन’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र के नए क्षितिज’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र के नए सन्दर्भ’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र : नई व्याख्या’, ‘तंत्र और संत’, ‘आगम और तुलसी’, ‘रस सिद्धान्त : नए सन्दर्भ’ (प्रस्तोता के रूप में)।

निधन : 30 मार्च, 2009

Read More
Books by this Author
Back to Top