Pul Kabhi Kahali Nahi Milte

Edition: 2005, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Pul Kabhi Kahali Nahi Milte

सुधांशु उपाध्याय की ये कविताएँ भविष्य को जिस रूप में वर्तमानित करती हैं, उससे वर्तमान और भविष्य और व्यतीत का चेहरा त्रिशिरा की तरह दिखाई पड़ने लगता है। वैसे तो कविता अपने समय की संवेदन शून्यता को पहचानने और उसे पूरने का काम करती ही है, बल्कि ऐसा करके ही वे कविताएँ बनती हैं। सुधांशु की इन कविताओं में यह तत्त्व जिस मुहावरे में व्यक्त हुआ है, उसे भाषा की सहज लाक्षणिकता कहा जा सकता है।

सुधांशु की विशेषता यह है कि वे ‘घटना’ को काव्य वस्तु में बदलते समय उसकी वास्तविकता का निषेध नहीं करते हैं, बल्कि उसके ‘देश’ को कभी-कभी काल के आयाम से मुक्त कर देते हैं। फलत: मनुष्य की पीड़ा, बेचैनी, खीज, कुढ़न आदि चिन्तनशीलता से भावित होकर ही कविता का रूप ग्रहण करती है। यह संकलन इसका प्रमाण है।

गीतों की प्रमुख विशेषता मुहावरों का निर्माण और विकास है। इस संकलन में कवि ने नए मुहावरों को अन्वेषित किया है। मुहावरों का प्रयोग कविता नहीं बनाता, बल्कि मुहावरों का विकास कविता बनाता है। सामान्य शब्द जब अपना कोशीय अर्थ छोड़कर, ‘संकेत बन जाते हैं तो गीत की निर्वचन क्षमता ग्रहीता प्रति ग्रहीता बदलती रहती है। इस संग्रह की कविताओं को काव्य-रूढ़ियों से मुक्त होकर इस अर्थ में पढ़ा जाना चाहिए। ‘वाह’ और ‘आह’ के तत्त्वों से रहित होने के कारण इन कविताओं का महत्त्व बढ़ जाता है। लगभग सभी गीतों में मनुष्य के प्रति गहरी संसक्ति है और इसीलिए मार्मिक चिन्ता भी।

सुधांशु अपने पहले संग्रह से ही निरर्थक शब्दों के प्रयोग-प्रवाह से बचते रहे हैं। इस संग्रह में अब वह कवि की आदत हो गया है। इसलिए मैं मानता हूँ कि उनकी कविताओं में ‘उक्तिवैचित्र्य या अनूठापन’ के बजाय बिम्बविधान की क्षमता है। इस अर्थ में वे क़तार से कुछ भिन्न हैं और इसे उनके इस संग्रह से भली-भाँति समझा जा सकता है।

—सत्यप्रकाश मिश्र

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 151p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Sudhanshu Upadhyaya

Author: Sudhanshu Upadhyaya

सुधांशु उपाध्याय

जन्म : 04 दिसम्बर, 1955; ग़ाज़ीपुर के गाँव रामपुर में।

शिक्षा :  प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में, उच्च शिक्षा वाराणसी में। एम.ए; पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि। प्रारम्भ में अध्यापन फिर पत्रकारिता में सक्रिय।

प्रमुख कृतियाँ : ‘आनेवाले कल पर’, ‘समय की ज़रूरत है यह’, ‘पुल कभी ख़ाली नहीं मिलते’ (नवगीत-संग्रह); ‘शब्द हैं साखी’, ‘आधुनिक पत्रकारिता और ग्रामीण सन्‍दर्भ’ (पत्रकारिता)।

‘प्रयाग गौरव’ सहित कई पुरस्‍कारों से सम्मानित।

ई-मेल : devgangotri@rediffmail.com

 

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