Prithvi

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Prithvi
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पृथ्वी जैसी हमें दिखती है वैसी अतीत में नहीं थी और न ही भविष्य में रहेगी। धरती पर तरल जल का होना ही इसे ब्रह्मांड में विशिष्ट बना देता है। सौरमंडल में किसी भी ग्रह अथवा उनके उपग्रहों के धरातल पर तरल जल उपलब्ध नहीं है। तरल जल का सीधा सम्बन्ध जीवन से है। पृथ्वी की वे परिस्थितियाँ जिन्होंने महासागरों तथा वायुमंडल का निर्माण होने दिया और उन्हें क़ायम रखा, अन्य ग्रहों पर नहीं है। परन्तु ब्रह्मांड बहुत विशाल है, और असंख्य ग्रह दूसरे सितारों के चारों ओर उसी तरह परिक्रमारत हैं जैसे हमारे सौरमंडल के ग्रह। अतएव उनमें से कुछ ग्रहों पर तरल जल के महासागरों एवं पृथ्वी जैसी परिस्थितियों के होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। और यदि ऐसा है तो वहाँ जीवन भी होगा ।

कैसा होगा धरती का भविष्य? टेक्टानिक गतिविधियों से अनुप्रेरित महाद्वि‍पीय संरचना अगले 25 से 35 करोड़ वर्षों में एक बृहत् अखंडित महाद्वीप का रूप ले सकती है, जैसा कि अतीत में एक से अधिक बार हो चुका है। अगले चार अरब वर्षों में सूर्य की चमक क्रमबद्ध ढंग से बढेगी जिसका अर्थ है कि पृथ्वी को अधिक ऊर्जा मिलेगी जिसके कारण सिलिकेट खनिजों का कालाधारित क्षरण अधिक होगा जिससे धरती का कार्बन-सिलिकेट-चक्र प्रतिकूलत: प्रभावित होने लगेगा जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में कार्बन-डाईऑक्साइड गैस का स्तर गिरेगा। धीरे-धीरे वनस्पतियों का लोप होता जाएगा और वानस्पतिक खाद्य-शृंखला टूट जाएगी जिससे उन पर आधारित समस्त प्राणि जगत् के अस्तित्व पर ही संकट आ जाएगा।

‘पृथ्‍वी’ विज्ञान के कई रहस्‍यों से पर्दा हटाती एक बेहद महत्‍त्‍वपूर्ण पुस्‍तक है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 248p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24 X 18.5 X 1.5
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Chandramani Singh

Author: Chandramani Singh

चन्द्रमणि सिंह

चन्द्रमणि सिंह का जन्म 4 जून, 1949 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कैथी ग्राम में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से भौतिक रसायन में परास्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा में राजपत्रित पद पर नियुक्त हुए। विभिन्न पदों पर 36 वर्षों की सेवा के उपरान्त वर्ष 2011 में लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश के सदस्य पद से सेवा निवृत्त।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘वेद, विज्ञान एवं ब्रह्माण्ड’ (2012); ‘अद‍्भुत ब्रह्माण्ड’ (2015); ‘असीम सृष्टि’ (2016); ‘पृथ्वी’ (2018); ‘भारत एवं विश्व का भूगोल’ (2021)।
निधन : 14 फरवरी, 2024

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