Prithvi

पृथ्वी जैसी हमें दिखती है वैसी अतीत में नहीं थी और न ही भविष्य में रहेगी। धरती पर तरल जल का होना ही इसे ब्रह्मांड में विशिष्ट बना देता है। सौरमंडल में किसी भी ग्रह अथवा उनके उपग्रहों के धरातल पर तरल जल उपलब्ध नहीं है। तरल जल का सीधा सम्बन्ध जीवन से है। पृथ्वी की वे परिस्थितियाँ जिन्होंने महासागरों तथा वायुमंडल का निर्माण होने दिया और उन्हें क़ायम रखा, अन्य ग्रहों पर नहीं है। परन्तु ब्रह्मांड बहुत विशाल है, और असंख्य ग्रह दूसरे सितारों के चारों ओर उसी तरह परिक्रमारत हैं जैसे हमारे सौरमंडल के ग्रह। अतएव उनमें से कुछ ग्रहों पर तरल जल के महासागरों एवं पृथ्वी जैसी परिस्थितियों के होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। और यदि ऐसा है तो वहाँ जीवन भी होगा ।
कैसा होगा धरती का भविष्य? टेक्टानिक गतिविधियों से अनुप्रेरित महाद्विपीय संरचना अगले 25 से 35 करोड़ वर्षों में एक बृहत् अखंडित महाद्वीप का रूप ले सकती है, जैसा कि अतीत में एक से अधिक बार हो चुका है। अगले चार अरब वर्षों में सूर्य की चमक क्रमबद्ध ढंग से बढेगी जिसका अर्थ है कि पृथ्वी को अधिक ऊर्जा मिलेगी जिसके कारण सिलिकेट खनिजों का कालाधारित क्षरण अधिक होगा जिससे धरती का कार्बन-सिलिकेट-चक्र प्रतिकूलत: प्रभावित होने लगेगा जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में कार्बन-डाईऑक्साइड गैस का स्तर गिरेगा। धीरे-धीरे वनस्पतियों का लोप होता जाएगा और वानस्पतिक खाद्य-शृंखला टूट जाएगी जिससे उन पर आधारित समस्त प्राणि जगत् के अस्तित्व पर ही संकट आ जाएगा।
‘पृथ्वी’ विज्ञान के कई रहस्यों से पर्दा हटाती एक बेहद महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2018 |
Edition Year | 2018, Ed. 1st |
Pages | 248p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 24 X 18.5 X 1.5 |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here