Pratinidhi kavitayen : Kedarnath Singh

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Pratinidhi kavitayen : Kedarnath Singh
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केदारनाथ सिंह शायद हिन्दी के समकालीन काव्य-परिदृश्य में अकेले ऐसे कवि हैं, जो एक ही साथ गाँव के भी कवि हैं और शहर के भी। अनुभव के ये दोनों छोर कई बार उनकी कविता में एक ही साथ और एक ही समय दिखाई पड़ते हैं। शायद भारतीय अनुभव की यह अपनी एक विशेष बनावट है जिसे नकारकर सच्ची भारतीय कविता नहीं लिखी जा सकती। केदार की कविता जो पहली बार रूप या तंत्र के धरातल पर एक आकर्षक विस्मय पैदा करती है क्रमश: बिम्ब और विचार के संगठन में मूर्त होती है और एक तीखी बेलौस सच्चाई की तरह पूरे सामाजिक दृश्य पर अंकित होती चली जाती है।

केदारनाथ सिंह की कविताएँ समय में देर तक टिकनेवाली कविताएँ हैं। केदार की कविताओं की दुनिया एक ऐसी दुनिया है जिसमें रंग, रोशनी, रूप, गन्ध, दृश्य एक-दूसरे में खो जाते हैं। पर यही दुनिया है, जिसमें कविता का 'कमिटमेंट' खो नहीं जाता; वहाँ हमें कविता के मूल सरोकार, कविता की बुनियादी चिन्ता, कविता का कथ्य या सन्देश (बेशक स्थूल अर्थ में नहीं) पूरी तीव्रता के साथ ध्वनित या स्पन्दित रहता है।

केदार की कविता किसी अर्थ में एकालाप नहीं, वह हर हालत में एक सार्थक संवाद है। वह एक पूरे समय की व्यवस्था और उसकी क्रूर जड़ता या स्तब्धता को विचलित करती है। चुप्पी और शब्द के रिश्ते को वह बख़ूबी पहचानती है और उसे एक ऐसी काव्यात्मक चरितार्थता या विश्वसनीयता देती है, जिसके उदाहरण कम मिलते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1985
Edition Year 2023, Ed. 14th
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Parmanand Srivastav
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Editorial Review

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Kedarnath Singh

Author: Kedarnath Singh

केदारनाथ सिंह

केदारनाथ सिंह का जन्म सन् 1934 में बलिया, उत्तर प्रदेश के चकिया गाँव में हुआ। ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान’ विषय पर सन् 1964 में पीएच.डी.।

सन् 1976 से 1999 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र में अध्यापन।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘अभी, बिलकुल अभी’, ‘ज़मीन पक रही है’, ‘यहाँ से देखो’, ‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’, ‘तालस्ताय और साइकिल’, ‘बाघ’, ‘सृष्टि पर पहरा’, ‘मतदान केन्द्र पर झपकी’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (काव्य-संग्रह)। ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिन्दी कविता में बिम्बविधान’, ‘मेरे समय के शब्द’, ‘क़ब्रिस्तान में पंचायत’ (गद्य-कृतियाँ) तथा ‘मेरे साक्षात्कार’ (संवाद)।

प्रमुख सम्मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’ (मध्य प्रदेश), ‘कुमारन आशान पुरस्कार’ (केरल), ‘दिनकर पुरस्कार’ (बिहार), ‘जीवन भारती सम्मान’, ‘भारत भारती सम्मान’, ‘गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान’ (उड़ीसा), ‘जाशुआ सम्मान’ (आन्ध्र प्रदेश) आदि।

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