“मेरा बाप पोतराज था। पोतराज कमर में रंग-बिरंगे खंडों के चीथड़े तथा कपड़े पहनते हैं। पोतराज की उस पोशाक को आभरान कहते हैं। आभरान मुझे यहाँ की व्यवस्था द्वारा पोतराज को दिए हुए राजवस्त्र लगते हैं। हाँ, ऐसे राजवस्त्र जो ज़िन्दगी को चीथड़े-चीथड़े कर डालते हैं।

आभरान पहनकर अपने बदन को कोड़ों से फटकारता हुआ मेरा बाप—आबा—हमारे लिए घर-घर भीख माँगता रहा। सारी ज़िन्दगी उसने पोतराज के रूप में खटते-घसीटते बिताई। आख़िर उसी में वह मरा। मरना सबको है; लेकिन यहाँ की व्यवस्था ने न जाने कितने लोगों को बिना सहमते-संकोचते, बड़े आराम से बलि चढ़ाया है। मेरे आबा उन्हीं में से एक हैं।

पोतराज के जिस आभरान को उतारना आबा के लिए सम्भव नहीं हुआ, मैंने उसे उतारा। उसकी होली जलाते हुए भी मेरा मन भीतर ही भीतर आबा और बाई की यादों से बेचैन रहा।

मैं उपेक्षा तथा ग़रीबी की लपटों की आँच सहनेवाले अनेकों में से एक हूँ। व्यवस्था द्वारा दी गई वेदना का साक्षी हूँ। भुक्तभोगी हूँ। ये वेदनाएँ मुझ जैसे अनेक की अनेक पीढ़ियों को चुभती रही हैं। मैं दु:खों और वेदनाओं को कुरेदते हुए जीना नहीं चाहता; लेकिन एक प्रश्न अवश्य पूछना चाहता हूँ कि यह सारा दु:ख-दर्द हमें ही क्यों भोगना पड़ता है।” ‘पोतराज’ में उपस्थित लेखक पार्थ पोलके के ये शब्द सहसा हृदय को विचलित कर देते हैं।

मूल मराठी भाषा में लिखित चर्चित आत्मकथा का यह हिन्दी अनुवाद पाठकों को निश्चित रूप से एक नवीन सामाजिक दृष्टि प्रदान करेगा। सघन संवेदना, समानता के तीखे प्रश्न, अभाव के असमाप्त अरण्य और अदम्य जिजीविषा—ये तत्त्व इस रचना को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 220p
Translator Gajanan Chauhan
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Potraj
Your Rating

Author: Parth Polke

पार्थ पोलके

प्रमुख कृतियाँ : ‘आभरान’ (मराठी दलित आत्मकथा), ‘आम्ही बी माणसं’, ‘गावकुसाबाहेराव्या बाया’, ‘हिन्दू विरुद्ध वैदिक’।

‘आभरान’ पर विशेष पुरस्कार : ‘बंडो गोपाल मुकादम पुरस्कार’, ‘महाराष्ट्र सरकार द्वारा उत्कृष्ट साहित्य पुरस्कार’, विविध विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में निर्धारित, मान्यवर समीक्षकों द्वारा गौरव प्राप्त। ‘आभरान’ पर एम.फ़ि‍ल. उपाधि हेतु अनुसन्धान कार्य।

कार्य : महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं में एक प्रमुख नाम; अध्यक्ष, विद्रोही सांस्कृतिक आन्दोलन; सहभाग तथा कारावास, मराठवाड़ा विद्यापीठ नामान्तर आन्दोलन; अध्यक्ष, भिमाबाई अम्‍बेडकर समता प्रतिष्ठान; कार्याध्यक्ष, समता शिक्षण प्रसारक मंडल, मंडल की ओर से मूकबधिरों, मतिमन्दों तथा अपंगों के लिए शिक्षा की सुविधा तथा अन्य कार्य।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top