संसार में जितने मानवीय सम्बन्ध हैं, उनमें सबसे विचित्र है पति-पत्नी सम्बन्ध। इस पर हज़ारों उपन्यास लिखे गए लेकिन पति-पत्नी के इन्द्रधनुषी सम्बन्ध के सातों रंग उनमें कितने खिले हैं, यह बताना मुश्किल है। यह इसलिए मुश्किल है कि मानवीय आयाम के नीचे अन्तरंग दाम्पत्य आयाम का छिप जाना स्वाभाविक है। लेकिन कुछ ऐसे कथाशिल्पी आगे आए जिन्होंने दाम्पत्य जीवन की विचित्रताओं को सविस्मय देखा, लेकिन उनके विश्लेषण का प्रयास नहीं किया। बिमल बाबू ने ऐसा ही किया है। गोलक बाबू को जब रेलवे की नौकरी नहीं मिली थी तब वे एक अस्वस्थ लखपति की मालिश करने का काम करते थे। उस लखपति की नौजवान पत्नी से उनका अवैध सम्बन्ध हो गया। उस महिला के पीछे उन्होंने अपने बीवी-बच्चों को तिलांजलि दे दी। लेकिन जब वे चल बसे तब उस महिला ने उनकी गिरस्ती को अपना लिया। गोलक बाबू के बेटे उसके अपने बेटे हो गए और वह रोज़ गोलक बाबू के चित्र पर माला चढ़ाती है, लेकिन ऐसा क्यों हुआ? चिकित्सक के रूप में डॉक्टर दास ने जितना धन कमाया, उतना बहुत कम लोग कमा पाते हैं। धन के पीछे वे अपनी पत्नी तक को भूल गए। बहुत दिनों बाद बिमल बाबू जब डॉक्टर दास की पत्नी से मिले तब मिसेस दास मिसेस शर्मा बन चुकी थीं। उसने अपने ड्राइवर शर्मा को अपना जीवनसाथी बना लिया था। शर्मा भी मिस्टर शर्मा हो गया था। वह ट्रांसपोर्ट कम्पनी का मालिक था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ? पल्टू सेन मामूली क्लर्क से करोड़पति बना। उसने अपनी पत्नी को सुखी करने के लिए क्या नहीं किया? लेकिन उसकी पत्नी कहाँ सुखी हो सकी? उसने अपने शरीर में आग लगाकर आत्महत्या कर ली। उसी घटना में पल्टू सेन बुरी तरह जलकर कई दिन बाद चल बसा। मरते समय उसे पता चला कि उसकी असली पत्नी कोई और है। लेकिन ऐसा क्यों हुआ?
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Virendranath Mandal |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2012 |
Edition Year | 2012, Ed. 1st |
Pages | 223p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |