Pashupati

Author: Rajshree
Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Pashupati

पशुपति उपन्यास का आधार संस्कृति की स्थापना और विध्वंस है। इस उपन्यास के दो प्रमुख नायक हैं—वैदिककालीन महाअसुर वरुण व महारुद्र शिव। इस उपन्यास के ये दो महानायक भारतीय संस्कृति के इतिहास से सम्बन्ध रखते हैं। इनके आचरण से मिलनेवाली शिक्षा हर युग में युगपरक है।

जम्बूद्वीप के सर्वश्रेष्ठ देश भारत की पृष्ठभूमि पर लिखी गई कथा विश्व के किसी भी देश के लिए सत्य है। इस कथा से ज्ञात होता है कि विचारों की सरलता में, विषमता व जटिलता का समावेश सभ्यता के साथ होता जाता है। सीधी रेखाओं से किस प्रकार न सुलझने वाली गाँठ बन जाती है— ऐसी गाँठ, जो मानव को पग-पग पर अपने में बाँधती है? शिव, जिन्हें पुराणों में सृष्टि संहारक कहा गया है, उन्होंने विश्व की रक्षा के लिए हलाहल का पान किया। संहार व रक्षा एक-दूसरे के विपरीत हैं। जो संहार करता है, उसने विषपान क्यों किया? क्या था वह विषपान? आज विश्व पुनः उसी अवस्था में है जहाँ महारुद्र शिव का हलाहल-पान भी विध्वंस को नहीं रोक सका था।

यदि मानव मौलिक सरलता खोता है तो परिणाम विध्वंस है। जिस संस्कृति के विस्तार का स्वप्न इन युगपुरुषों ने देखा, वह आज हमारा दायित्व है। हम संस्कृति के मानवीय भाव व प्रकृति को समझें। इस कथा का प्रारम्भ प्रकृति करती है। वह मानव को यह समझाना चाहती है कि विध्वंस व विसर्जन में भेद है। समय मानव-मस्तिष्क की विभिन्न अवस्थाओं—कद्रू के स्वप्न, वराह की रेखाएँ और बाबा देवल की लोककथा—के माध्यम से कहता है। कद्रू अचेतन, वराह चेतन, बाबा देवल लोकमानस में चेतन-अचेतन से बननेवाली कहानी का प्रतीक हैं। इनके माध्यम से युग-विशेष के विचारों की दिशा व विषमता ज्ञात होती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 531p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3
Write Your Own Review
You're reviewing:Pashupati
Your Rating
Rajshree

Author: Rajshree

राजश्री

जन्म : 3 जनवरी, 1961

शिक्षा : शिक्षा बी.एस-सी. गणित व एम.ए. इकोनॉमिक्स तथा विश्व साहित्य, दर्शन व भाषा का तुलनात्मक अध्ययन। ग्राफ़िक्स डिजाइनर व फ़ोटोग्राफ़र।

लेखन में बचपन से ही रुचि। पहली कहानी ‘मम्मी अच्छी औरत नहीं’ ‘नई दुनिया’ के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित। लेखन का सफ़र उस समय से अब तक जारी है। कई पत्र-पत्रिकाओं व विश्व के कहानी-संकलनों में कहानियाँ व कविताएँ प्रकाशित। ‘मैं बोनसाई नहीं’, ‘मुक्ति और नियति’, ‘नीचों की गली’ कहानियाँ विशेष रूप से चर्चित।

भारतीय संस्कृति व पुरातत्त्व के प्रति विशेष रुचि। भारत का सुमेर कहाँ है, जिससे भारत की अतिप्राचीन सभ्यता के गढ़ के अवशेष मिले, उस स्थान की खोज करने का स्वप्न।

गत कई वर्षों से लाफ़येट्ट, कैलिफ़ोर्निया में निवास।

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top