1927 में फ़देयेव का यह पहला उपन्यास ‘पराजय’ प्रकाशित हुआ जो सुदूर पूर्व में क्रान्ति-विरोधियों के विरुद्ध छापामार क्रान्तिकारी युद्ध (1918-20) का व्यापक, गहन और आधिकारिक चित्र प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास से फ़देयेव को राष्ट्रव्यापी ख्याति और मान्यता मिली। 1931 में इस पर एक फ़िल्म भी बनी। प्रकृतवाद और अमूर्त, ऊँची उड़ान वाले स्वच्छन्दतावाद का समान रूप से विरोध करने वाले फ़देयेव ने इस उपन्यास में वास्तविक जीवन का सहज वर्णन करते हुए चरित्रों की संरचना और नैतिक-आत्मिक विकास पर अपना ध्यान गहन रूप में केन्द्रित किया है। उपन्यास की थीम के बारे में स्वयं उन्हीं के शब्दों में :

‘‘गृहयुद्ध के दौरान, मानवीय तत्त्व एक चयनात्मक प्रक्रिया से गुज़रते हैं। हर प्रतिकूल चीज़ को क्रान्ति झाड़-बुहारकर किनारे कर देती है। हर चीज़ जो सच्चे क्रान्तिकारी संघर्ष के लिए अक्षम होती है और जो धारा के प्रवाह के साथ क्रान्ति के शिविर में आ गई रहती है, उसकी निराई-छँटाई कर दी जाती है, और ईमानदार जड़ों वाली हर चीज़ जो क्रान्ति के बीच से आती है, वह लाखों-लाख सृजनशील जनसमुदाय के बीच, इस संघर्ष के दौरान मज़बूत बनती है, फलती-फूलती है और विकसित होती है। लोग आमूलगामी ढंग से रूपान्तरित हो जाते हैं।’’

इस उपन्यास में लेविन्सन का चरित्र कम्युनिस्ट चेतना के उच्च स्तर को दर्शाता है और यह भी दर्शाता है कि एक सच्चे बोल्शेविक का अपने अनुगामियों पर कितना गहरा प्रभाव होता है। 1920 के दशक में साहित्यिक आलोचकों ने ‘पराजय’ को एक प्रयोगात्मक प्रयास बताया जो क्रान्ति के मानव को क्रान्ति-प्रक्रिया के ‘भीतर से’ देखता है और उसके मनोविज्ञान का सूक्ष्म-सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

—भूमिका से

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 191p
Translator Translator One
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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A. Fadeyev

Author: A. Fadeyev

अलेक्सान्द्र फ़देयेव

जन्म : अलेक्सान्द्र अलेक्सान्द्रोविच फ़यदेव का जन्म 24 दिसम्बर, 1901 को रूस में त्वेर के निकट किम्री नामक जगह पर हुआ, जिसका नाम बाद में कालीनिन ओब्लास्त पड़ा। उनकी परवरिश पेशेवर क्रान्तिकारियों के एक परिवार में हुई थी। 1908 में उनका परिवार सुदूर पूर्व चला गया। फ़देयेव की युवावस्था पूर्वी साइबेरिया में उराल की पहाड़ियों में बीती। 1912 से 1918 तक उन्होंने ब्लादिवोस्तोक वाणिज्य विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। यहीं वे बोल्शेविज्म की ओर आकृष्ट हुए। 1918 में वे कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। 1918 से 1920 के बीच, गृहयुद्ध के दौरान उन्होंने साइबेरिया में श्वेत सेना की टुकड़ियों और हमलावर जापानियों के विरुद्ध लड़ाइयों में हिस्सा लिया। 1921 में फ़देयेव ने क्रोन्स्ताद सोवियत-विरोधी विद्रोह को दबाने में हिस्सा लिया। लड़ाइयों के दौरान दो बार वे घायल भी हुए। 1921 से 1924 तक उन्होंने मास्को खनन अकादमी में अध्ययन किया। 1924 से 1926 तक उन्होंने काद्नोदार और रोस्तोव-ऑन-दोन में पार्टी-कार्य किया। इस दौरान वे रोस्तोव के एक अख़बार ‘सोवियत दक्षिण’ के लिए पत्रकारिता भी करते रहे। ‘लावा’ नामक एक साहित्यिक पत्रिका की स्थापना में भी वे सहयोगी रहे।

निधन : 13 मई, 1956

 

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