Palko ki chhav tale

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Palko ki chhav tale

मध्यवर्गीय जीवन, उसके सपनों, आदर्शों और संवेदनाओं पर केन्द्रित इन कहानियों में लेखक ने समसामयिक जीवन के मानसिक और मूल्यगत द्वन्द्व को भी अभिव्यक्ति दी है। आधुनिक मानव–मन की चिरन्तन पीड़ा को ये कहानियाँ जितनी सहजता से शब्द देती हैं, वह उल्लेखनीय है।

संग्रह की कुछ कहानियाँ हमारे समाज की मूल्य संरचना को सीधे चुनौती देती हैं, मसलन, ‘माँ’ शीर्षक कहानी। इस कहानी में नायक उस स्त्री को माँ का सम्मान देकर प्रतिष्ठित करता है जिससे कभी उसके पिता ने अवैध शारीरिक सम्बन्ध बनाए थे। ऐसी ही कहानी ‘नई राहें’ है जिसमें एक वीतरागी साधु प्रेम में पड़कर वापस दुनिया में आ जाता है। अन्य कहानियाँ भी हमारे मन को झंकृत कर सोच का एक नया धरातल अन्वेषित करती हैं।

किसी भी वैचारिक झंडाबरदारी से मुक्त इन कहानियों की सहजता, सरलता और प्रवाहमयता इनको विशेष तौर पर पठनीय बनाती है। कहानियों की भाषा पात्रों और उनके परिवेश के पूरी तरह अनुकूल है और अनायास ही पाठकों को अपने साथ बहा ले जाती है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 136p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Ravishekhar Verma

रविशेखर वर्मा

जन्म : 28 जनवरी, 1931; देहरादून।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (अंग्रेज़ी)।

कृतियाँ : ‘मंज़िल दूर नहीं’ (उपन्यास); ‘ज़िन्दगी के मोड़ पर’, ‘पलकों की छाँव तले’ (कहानी-संग्रह) सहित सत्‍तर से ज्‍़यादा पुस्‍तकें प्रकाशित। जयशंकर प्रसाद की अनेक कथाओं का अंग्रेज़ी अनुवाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

सम्मान : महाराणा मेवाड़ फ़ाउंडेशन, उदयपुर का ‘विशिष्ट सम्मान’-2003।

30 जून, 1991 को मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान, जयपुर के अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।

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