Pahachan Ke Naam Par Hatyaye

Author: Amin Maluf
Translator: Sharad Chandra
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Pahachan Ke Naam Par Hatyaye
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‘‘प्रत्येक युग में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो यह मानते हैं कि हर व्यक्ति की एक प्रमुख निष्ठा होती है जो हर तरह से औरों से इतनी उत्कृष्ट होती है कि उसे न्यायिक रूप से उसकी पहचान मान लिया जाता है। कुछ के लिए यह उनका राष्ट्र होता है, कुछ औरों के लिए धर्म या वर्ग। किन्तु सारी दुनिया में चारों तरफ़ फैले तरह-तरह के झगड़ों, विवादों पर नज़र दौड़ाने के बाद यह समझने में देर नहीं लगती कि कोई भी एक निष्ठा पूरी तरह सर्वोपरि नहीं होती।

वहाँ जहाँ लोगों को अपने धर्म के प्रति ख़तरा महसूस होता है, वहाँ उनकी धार्मिक आस्था उनकी सम्पूर्ण पहचान बन जाती है। लेकिन अगर उनकी मातृभाषा या जातीय समुदाय को ख़तरा हो तो वे अपने सधर्मियों से जमकर क्रूरता से लड़ाई करते हैं। तुर्की और खुर्द दोनों ही मुसलमान हैं, हालाँकि उनकी भाषाएँ अलग-अलग हैं; क्या उनके झगड़े कोई कम रक्तरंजित होते हैं? हुतु और टुट्सी दोनों समान रूप से कैथोलिक हैं और एक ही भाषा बोलते हैं, लेकिन यह उन्हें एक-दूसरे का संहार करने से रोक पाता है? चैक और स्लोवेक दोनों कैथोलिक हैं, क्या इसके सहारे वे साथ रह पाते हैं?’’

ऐसे कई प्रश्न हैं जिन पर प्रस्तुत पुस्तक में बड़ी संजीदगी से विचार किया गया है। लेखक ने जीवन और समाज के कुछ मूलभूत मुद्दों को रेखांकित किया है। दृष्टिकोण वैश्विक है और उद्देश्य मानवता की प्रतिष्ठा। यह कहना उचित होगा कि प्रस्तुत पुस्तक पाठकों को संकीर्णताओं से मुक्त चिन्तन के लिए प्रेरित और निमंत्रित करती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 147p
Translator Sharad Chandra
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Amin Maluf

Author: Amin Maluf

अमीन मालूफ

अमीन मालूफ का जन्म बेरुत (लेबनान) में 25 फ़रवरी, 1949 को हुआ। 1976 में मालूफ लेबनान से फ़्रांस आए। इनकी मूल भाषा अरबी है लेकिन ये फ़्रेंच में लिखते हैं। इनकी रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हुआ है। 1983 में मालूफ की पहली पुस्तक ‘द क्रूसेड थ्रू अरब आई’ प्रकाशित हुई। इन्हें 1993 में इनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘द रॉक ऑफ़ तानियोज़’ के लिए ‘प्री गोंकूर’ पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2011 में सुप्रसिद्ध फ़्रेंच अकादमी की इन्हें सदस्यता प्राप्त हुई।

‘पहचान के नाम पर हत्याएँ’ (Les identités meurtrières) पुस्तक में मालूफ इस्लाम और ईसाइयत के संघर्षों और उनके बीच के विरोधाभासों को रेखांकित करते हैं।

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