Paglaye Log

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‘पगलाए लोग’ में समसामयिक मंचित नाटक संगृहीत हैं। लेखक प्रभात कुमार उप्रेती के मन में उन लोगों के लिए अपर सम्मान है ‘जो लोग हमेशा इतिहास के उजाले पक्ष में होते हैं...भलाई के लिए मर-मिटते हैं...।’ इन नाटकों में ऐसे ही व्यक्ति केन्द्र में हैं जिनके कारण यह जीवन जीने के योग्य बना रहता है। जो सामाजिक मूल्यों की स्थापना के लिए सर्वस्व दाँव पर लगा देते हैं।

इस संग्रह की एक पृष्ठभूमि यह भी है कि 1980-2000 के मध्य उत्तराखंड में नाटक आन्दोलन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। व्यापक सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखकर लिखे गए ये नाटक वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इनके मंचनों को दर्शकों की भरपूर सराहना प्राप्त हुई है। यह तथ्य भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि इन नाटकों ने सकारात्मक मानसिक परिवर्तन के लिए एक पीठिका का निर्माण किया। प्रभात कुमार उप्रेती

ने उन जननायकों का स्मरण किया है जिनके बिना इस क्षेत्र का इतिहास नहीं लिखा जा सकता।

जो पाठक इन नाटकों में अपने समय की शिनाख़्त करना चाहेंगे उन्हें निराश नहीं होना पड़ेगा। मानव और मानवेतर प्रकृति से जुड़े अनेक सन्दर्भ यहाँ अनुभव किए जा सकते हैं। इस तरह कई नाटक होते हुए भी ‘पगलाए लोग’ एक लम्बे’ नाटक की तरह भी स्वीकार किया जा सकता है, अपने अर्थपूर्ण विभाजन में तो स्वीकार्य है ही।

लेखक ने प्रवाहपूर्ण भाषा के द्वारा घटनाओं, विचारों और मंचीय गतिविधियों को साकार किया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 332p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Editorial Review

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Prabhat Kumar Upreti

Author: Prabhat Kumar Upreti

प्रभात कुमार उप्रेती

जन्‍म : 2 जून, 1944; अल्‍मोड़ा।

शिक्षा : एम.. (राजनीतिशास्त्र)।

प्रमुख कृतियाँ :पगलाए लोग’, ‘सफ़दर : एक आदमक़द इनसान’, ‘संघर्षरत उत्तराखंड’, ‘हिमालय में पदयात्रा’, ‘पर्वत में नशा’, ‘पर्वत में पर्यावरण की कहानी’, ‘ज़िन्दगी में कविता’, ‘उत्‍तराखंड की लोक एवं पर्यावरण गाथाएँ’, ‘फागूदास की डायरी’, ‘सियासत-ए-उत्‍तराखंड

रा. स्‍नातकोत्‍तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ में वर्षों अध्‍यापन, अब सेवानिवृत्त।

ई-मेल : pkupreti@gmail.com

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