Uttrakhand Ki Lok Evam Prayavaran Gathayen

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Uttrakhand Ki Lok Evam Prayavaran Gathayen
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‘उत्तराखंड की लोक एवं पर्यावरण गाथाएँ' एक अनूठी पुस्तक है। प्रभात कुमार उप्रेती ने सहज बोध, अनुसन्धान और कल्पना के संयोग से इन कथाओं को आकार दिया है।

संकलन की अधिकांश गाथाएँ या कथाएँ लोक-जीवन में व्याप्त अक्षय निधि की देन हैं। लोककथाओं की विशेषता है कि वे स्थान और समय के बीच विचित्र रीति से संचरण करती हैं। कई बार भाषा, घटना और पत्रों में अनायास संशोधन होता रहता है। अक्षुण्ण रहता है तो इन कथाओं का मन्तव्य।

प्रभात कुमार उप्रेती ने उत्तराखंड के कण-कण से इन कथाओं का संचयन किया है। मनोरंजन, नीति, रहस्य, रोमांच, रोचकता और जीवनबोध का तत्त्व समेटे हुए ये कथाएँ पाठक के मन को गहरे से प्रभावित करती हैं। विशेष यह है कि हम चाहें तो समकालीन जीवन से जोड़कर भी इनका नया भाष्य कर सकते हैं। इनमें पुराण, प्रकृति और परम्परा की आवाजाही सहज भाव से होती है।

लोककथाओं के साथ पर्यावरण कथाएँ हैं, जो लेखक की रचनाशीलता और वैचारिक पक्षधरता को रेखांकित करती हैं।

समग्रतः मनोरंजन और जीवनादर्शों से युक्त यह पुस्तक निश्चित रूप से पाठकों को प्रभावित करेगी। उत्तराखंड की आंचलिक उपस्थिति (भाषा, परिवेश और कहन के रूप में) इसे और विशिष्ट बनाती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Editorial Review

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Prabhat Kumar Upreti

Author: Prabhat Kumar Upreti

प्रभात कुमार उप्रेती

जन्‍म : 2 जून, 1944; अल्‍मोड़ा।

शिक्षा : एम.. (राजनीतिशास्त्र)।

प्रमुख कृतियाँ :पगलाए लोग’, ‘सफ़दर : एक आदमक़द इनसान’, ‘संघर्षरत उत्तराखंड’, ‘हिमालय में पदयात्रा’, ‘पर्वत में नशा’, ‘पर्वत में पर्यावरण की कहानी’, ‘ज़िन्दगी में कविता’, ‘उत्‍तराखंड की लोक एवं पर्यावरण गाथाएँ’, ‘फागूदास की डायरी’, ‘सियासत-ए-उत्‍तराखंड

रा. स्‍नातकोत्‍तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ में वर्षों अध्‍यापन, अब सेवानिवृत्त।

ई-मेल : pkupreti@gmail.com

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