Nirgun Kavya Mein Nari

Author: Anil Rai
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Nirgun Kavya Mein Nari
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नारी सृष्टि का आधार है। वह जीवनी शक्ति है। इसलिए वह आरम्भ से ही चिन्तन का केन्द्र रही है। निर्गुण कवियों ने नारी पर काफ़ी कुछ लिखा है। लेकिन उसका सही-सही मूल्यांकन भी हुआ है, ऐसा कहना सम्भव नहीं।...कम-से-कम संतों के नारी-विषयक चिन्तन के प्रति यह धारणा ही बद्धमूल हो गई थी कि वे नारी के घोर निन्दक और विरोधी रहे हैं। इसका कारण सम्भवतः यह रहा कि उनके साहित्य को समग्रता में नहीं देखा गया और न ही सन्दर्भ के सही परिप्रेक्ष्य में उसे विश्लेषित करने की कोशिश की गई। इसके लिए यह बहुत आवश्यक है कि उस समय की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक स्थितियों के आलोक में उसका मूल्यांकन किया जाए। इन तमाम सन्दर्भों के सही परिप्रेक्ष्य में निर्गुण कवियों की नारी-भावना का जब हम विश्लेषण करते हैं तो सारी पिछली बद्धमूल धारणाएँ निराधार हो जाती हैं। एक नई दृष्टि से, यह पुस्तक इसी मिथक को तोड़ने और निर्गुण काव्य के इस पक्ष विशेष के मूल्यांकन में कुछ नये आयाम जोड़ने का एक विनम्र प्रयास है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 249p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Anil Rai

Author: Anil Rai

अनिल राय
अनिल राय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.फिल. और पी-एच.डी. की डिग्री ली। ढाई वर्ष तक दक्षिण एशिया अध्ययन विभाग, पीकिंग विश्वविद्यालय, बीजिंग (चीन) में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के कमला नेहरू कॉलेज और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ़ बिजनेस स्टडीज़ की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन रहे। हंसराज कॉलेज, दौलतराम कॉलेज, देशबन्धु कॉलेज, गुरु गोविन्द सिंह कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स (दिल्ली विश्वविद्यालय) की गवर्निंग बॉडी के सदस्य। भारत के कई केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों के अध्ययन मंडल (बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़) के सदस्य। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विद्वत परिषद के सदस्य। 
उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘निर्गुण काव्य में नारी’, ‘आदिकालीन हिन्दी साहित्य : अध्ययन की दिशाएँ’, ‘निबन्धों की दुनिया : शिवपूजन सहाय’, ‘चीनी लोक कथाएँ’, ‘माओ के देश में’, ‘स्त्री के हक़ में कबीर’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र : कुछ सिद्धान्त कुछ वाद’। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शोध-लेख, समीक्षाएँ, कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हैं।
उन्हें हिन्दुस्तानी एकेडमी, प्रयाग के ‘संत कबीर सम्मान’, गोंडा उत्तर प्रदेश से ‘अवध संस्कृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
सम्प्रति : डीन, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध, मानविकी और समाजविज्ञान एवं वरिष्ठ प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय।
ई-मेल : anilrai1963@gmail.com

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