‘नीलू नीलिमा नीलोफ़र’ प्रेम कहानी है। प्रेम कहानियों में अडचनें उठती हैं, कभी आर्थिक विषमताओं के कारण, कभी जाति-भेद के कारण, कभी पारिवारिक मतभेद के कारण। इस कहानी में भी अवरोध उठते हैं, परस्पर प्रेम के कोमल तन्तुओं को कुचलने के लिए। अन्तर केवल इतना है कि इस प्रेम कहानी में उठनेवाले अवरोध कुछ ऐसे पूर्वग्रह लिए हुए हैं जिनकी जड़ें समाज में बड़ी गहरी हैं, और जिनकी भूमिका कभी-कभी दारुण, भयावह रूप ले लेती है।
लेकिन मनुष्य के जीवन में प्रेम की भूमिका निश्चय ही इन पूर्वग्रहों से ऊँचा उठकर, दिलों को जोड़नेवाली, निश्छल, सात्त्विक भूमिका होती है। गहरा, सच्चा, निस्वार्थ प्रेम गहरी मानवीयता से प्रेरित होता है। दूसरी ओर पूर्वग्रहों की भूमिका कभी-कभी तो अमानवीय स्तर पर क्रूर हो जाती है।
इन अवरोधों से जूझना एक तरह से अपने परिवेश से जूझना भी है, इस परिवेश में अपने को खोजना भी है, अपने को पहचान पाने का प्रयास भी है।
इसी माहौल में उपन्यास के पात्र अपनी जिन्दगी का ताना-बाना बुनते हैं...!
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2000 |
Edition Year | 2018, Ed. 4th |
Pages | 200p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 2 |