Neeloo Neelima Neelofar

Author: Bhishma Sahni
Edition: 2018, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Neeloo Neelima Neelofar

‘नीलू नीलिमा नीलोफ़र’ प्रेम कहानी है। प्रेम कहानियों में अडचनें उठती हैं, कभी आर्थिक विषमताओं के कारण, कभी जाति-भेद के कारण, कभी पारिवारिक मतभेद के कारण। इस कहानी में भी अवरोध उठते हैं, परस्पर प्रेम के कोमल तन्‍तुओं को कुचलने के लिए। अन्‍तर केवल इतना है कि इस प्रेम कहानी में उठनेवाले अवरोध कुछ ऐसे पूर्वग्रह लिए हुए हैं जिनकी जड़ें समाज में बड़ी गहरी हैं, और जिनकी भूमिका कभी-कभी दारुण, भयावह रूप ले लेती है।

लेकिन मनुष्य के जीवन में प्रेम की भूमिका निश्चय ही इन पूर्वग्रहों से ऊँचा उठकर, दिलों को जोड़नेवाली, निश्छल, सात्त्विक भूमिका होती है। गहरा, सच्चा, निस्वार्थ प्रेम गहरी मानवीयता से प्रेरित होता है। दूसरी ओर पूर्वग्रहों की भूमिका कभी-कभी तो अमानवीय स्तर पर क्रूर हो जाती है।

इन अवरोधों से जूझना एक तरह से अपने परिवेश से जूझना भी है, इस परिवेश में अपने को खोजना भी है, अपने को पहचान पाने का प्रयास भी है।

इसी माहौल में उपन्यास के पात्र अपनी जिन्‍दगी का ताना-बाना बुनते हैं...!

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2000
Edition Year 2018, Ed. 4th
Pages 200p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Bhishma Sahni

Author: Bhishma Sahni

भीष्म साहनी

जन्म : 8 अगस्त, 1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में।

शिक्षा : हिन्दी-संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा घर में। स्कूल में उर्दू और अंग्रेज़ी। गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए., फिर पंजाब विश्वविद्यालय से पीएच.डी.।

बँटवारे से पूर्व थोड़ा व्यापार, साथ-ही-साथ मानद (ऑनरेरी) अध्यापन। बँटवारे के बाद पत्रकारिता, इप्टा नाटक मंडली में काम, बम्बई में बेकारी। फिर अम्बाला में एक कॉलेज में तथा खालसा कॉलेज, अमृतसर में अध्यापन। तत्पश्चात् स्थायी रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में साहित्य का प्राध्यापन। इस बीच लगभग सात वर्ष 'विदेशी भाषा प्रकाशन गृह’, मॉस्को में अनुवादक के रूप में कार्य। अपने इस प्रवासकाल में उन्होंने रूसी भाषा का यथेष्ट अध्ययन और लगभग दो दर्जन रूसी पुस्तकों का अनुवाद किया। क़रीब ढाई साल 'नई कहानियाँ’ का सौजन्य-सम्पादन। ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ तथा ‘अफ्रो-एशियाई लेखक संघ’ से सम्बद्ध।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘भाग्यरेखा’, ‘पहला पाठ’, ‘भटकती राख’, ‘पटरियाँ’, ‘वाङ्चू’, ‘शोभायात्रा’, ‘निशाचर’, ‘पाली’, ‘डायन’ (कहानी-संग्रह); ‘झरोखे’, ‘कड़ियाँ’, ‘तमस’, ‘बसंती’, ‘मय्यादास की माड़ी’, ‘कुंतो’, ‘नीलू नीलिमा नीलोफ़र’ (उपन्यास); ‘माधवी’, ‘हानूश’, ‘कबिरा खड़ा बज़ार में’, ‘मुआवजे’, ‘सम्पूर्ण नाटक’ (दो खंडों में) (नाटक); ‘आज के अतीत’ (आत्मकथा); ‘गुलेल का खेल’ (बालोपयोगी कहानियाँ)।

सम्मान : अन्य पुरस्कारों के अलावा ‘तमस’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ तथा ‘हिन्दी अकादमी’, दिल्ली का ‘शलाका सम्मान’।

‘साहित्य अकादेमी’ के महत्तर सदस्य रहे।

निधन : 11 जुलाई, 2003

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