Naye Varsh Ki subha

1970 में रेकजाविक, आइसलैंड में जन्मी गेरदुर क्रिस्ट्नी गुद्योंसदोत्तिर एक बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न लेखिका हैं, जिन्होंने रचनात्मक लेखन की विभिन्न विधाओं में अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है। कहानियाँ, नाटक, यात्रा-संस्मरण लिखे हैं। स्कूली बच्चों के लिए पाठ्य-पुस्तकें लिखी हैं। इन सबके साथ-साथ पत्रकार के रूप में भी विशेष ख्याति अर्जित की है। कई वर्षों तक आइसलैंड की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘मैनलिफ़’ की मुख्य सम्पादक रहीं और फ़ैशन लाइफ़-स्टाइल के साथ-साथ समसामयिक सामाजिक विषयों पर गम्भीर विश्लेषणात्मक लेख लिखे।
गैरदुर को प्रकृति से बेहद प्यार है जो उनकी ‘प्रकृति’ कविता में स्पष्ट झलकता है। वे ईश्वर की उपस्थिति को बड़ी शिद्दत के साथ प्रकृति में महसूस करती हैं। ईश्वर एक सर्जनात्मक ऊर्जा के साथ उनकी कविताओं में मौजूद है। कवि को ‘लैंगनेस’ कविता में ‘बंजर में फूटती आवाज़ों की फुसफुसाहट’ में ईश्वर का प्रतिरूप दिखाई देता है। इसी तरह एक कविता में प्रेम और ऊन से बुनी शिशु यीशु की शॉल उन स्त्रियोचित गुणों को रेखांकित करती है जिनसे वह पूरे मानवीय समाज को सम्पृक्त करना चाहती हैं।
उनकी कविता ‘चियर्स’ में सृष्टि की उत्पत्ति दो रूपों में व्यंजित हुई है—एक का सन्दर्भ है ईसाई धर्मग्रन्थ जैनेसिस में आई दन्तकथा तो दूसरे का सन्दर्भ है योहान सिगुरजनसन की आइसलैंड की अत्यन्त लोकप्रिय कविता ‘द कप’।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back |
Publication Year | 2009 |
Edition Year | 2009, Ed. 1st |
Pages | 40p |
Translator | Kusum Jain |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |
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