Naurangi Bimar Hai

Author: Shekhar Joshi
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Naurangi Bimar Hai

सामान्य जीवन-स्थितियों में भी ऐसा बहुत कम होता है, जिसकी मूल्यवत्ता हमें दूर तक सोचने के लिए विवश करती है। लेकिन यह कार्य एक सक्षम और अनुभूतिशील रचनाकार ही कर सकता है और शेखर जोशी ने इन कहानियों के रूप में यही कार्य सम्पादित किया है।

शेखर जोशी की ये कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्‌घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है। सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो, या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा—लेखकीय दृष्टि उन्हें एक नए अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है। उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है। अकारण नहीं कि दफ़्तरी पुर्जे नौरंगी की बीमारी वर्तमान व्यवस्था की ही बीमारी पर एक तीखा व्यंग्य बनकर उभरती है।

कहना न होगा कि शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारे सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1990
Edition Year 1998, Ed. 3rd
Pages 114p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19 X 12.5 X 1
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Shekhar Joshi

Author: Shekhar Joshi

शेखर जोशी

आपका जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़ि‍ले के ओलियागाँव में सितम्‍बर 1932 में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा-विभाग में ईएमई अप्रेंटिसशिप के लिए चयन जहाँ आप सन् 1955 से 1986 तक सेवा में रहे, तत्पश्चात् स्वैच्छिक रूप से पद त्यागकर सम्प्रति स्वतंत्र लेखन।

सन् 1955 में ‘धर्मयुग’ द्वारा आयोजित कहानी-प्रतियोगिता में प्रथम स्थान। ‘एक पेड़ की याद’ शब्दचित्र संकलन के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार’ (1987) से सम्मानित। तब से आप ‘साहित्‍य भूषण सम्‍मान’, ‘पहल सम्‍मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्‍त सम्‍मान’, ‘श्रीलाल शुक्‍ल सम्‍मान’ आदि से सम्‍मानित किए जा चुके हैं।

विभिन्न भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, पोलिश और रूसी भाषाओं में आपकी कुछ कहानियों का अनुवाद हुआ है। देवेन्द्रराज अंकुर द्वारा ‘रवीन्द्रालय’, लखनऊ में चार कहानियों का मंचन। आपकी ‘दाज्यू’ नामक कहानी पर चिल्ड्रेन फ़िल्म सोसायटी द्वारा फ़िल्म का निर्माण।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘कोसी का घटवार’, ‘साथ के लोग’, ‘हलवाहा’, ‘मेरा पहाड़’, ‘नौरंगी बीमार है’ (कहानी-संग्रह); ‘एक पेड़ की याद’ (शब्दचित्र-संग्रह)।

ऑडियो कैसेट : ‘हलवाहा’ तथा ‘नौरंगी बीमार है’ में संकलित कहानियों का ध्वन्यांकन ‘टॉकिंग बुक सेन्टर’ मुम्बई द्वारा छह कैसेट्स में।

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