‘नाट्य-प्रस्तुति : एक परिचय’ रंगकर्म में रुचि रखनेवाले उन सभी व्यक्तियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है, जो नाटक के क्षेत्र में नए हैं और नाट्य-विधा के सम्बन्ध में अधिक विस्तृत व गहन जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इस पुस्तक का रचना-शिल्प इन अर्थों में अधिक पठनीय एवं ग्राह्य है कि इसमें रंगकर्म से सम्बद्ध सभी छोटे-छोटे तथ्यों की सिलसिलेवार चर्चा की गई है, जैसे—अभिनय, निर्देशन, ध्वनि-व्यवस्था, प्रकाश-व्यवस्था, पात्र-चयन, संवाद, दर्शक, रंग-स्थल आदि।
गाँव-क़स्बे अथवा छोटे और पिछड़े इलाक़ों में रहनेवाले वे तमाम प्रतिभाशाली नाट्य-प्रेमी इस कृति से लाभान्वित होंगे जिनके लिए किसी नाट्य-विद्यालय अथवा नाट्य-संस्था में सम्मिलित होना सम्भव नहीं है लेकिन जो छोटी-छोटी रंग-मंडलियाँ बनाकर नाट्य-क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस पुस्तक के माध्यम से वे नाट्य-विधा से विधिवत् परिचित होंगे और अपनी प्रस्तुतियों को अधिक सम्प्रेषणीय तथा अधिक अर्थवत्तापूर्ण बना सकेंगे।
इस पुस्तक में भारतीय रंग-पद्धति के साथ-साथ पश्चिमी निर्देशकों और प्रस्तोताओं के विचारों और तकनीक का भी वर्णन है। चूँकि आज के नाट्य-मंच का स्वरूप बहुत कुछ ‘प्रोसीन्यम’ है और यह प्रोसीन्यम थियेटर दरअसल पश्चिमी रंग-पद्धति है, इसलिए पश्चिमी रंग-पद्धति और रंग-परम्परा की चर्चा भी इस पुस्तक के दायरे में है। दोनों ही रंग-पद्धतियों के बुनियादी तत्त्व एक हैं और किसी एक रंग-पद्धति को गम्भीरतापूर्वक समझ लेने से दूसरी को समझना काफ़ी सरल है।
नाट्य-विधा के क्षेत्र में रमेश राजहंस की यह श्रमसाध्य कृति निश्चय ही बेहद महत्त्वपूर्ण है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 1987 |
Edition Year | 1987, Ed. 1st |
Pages | 151p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |