Mook Bimbon Se Bahar

Author: Aarti
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Mook Bimbon Se Bahar
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‘यह समय मेरा समय नहीं है फिर भी मैं इस समय में हूँ’, इस द्वन्द्व के चलते अपने समय के सच को पाने के लिए आरती समय के अन्तर्द्वन्द्वों और अन्तर्विरोधों को समझने-परखने के लिए, उसकी अनेक अन्दरूनी परतों में झाँकती हैं। इस समय को कहने के लिए वो मिथकों, स्मृतियों और इतिहास के स्मृत-विस्मृत संदर्भों को खँगालती हैं। लेकिन उनकी नज़रें मिथकीय आख्यान को मिथक की तरह या इतिहास की तरह नहीं वर्तमान की तरह देखती हैं। ऐसा करते हुए वह बार-बार मिथक और इतिहास के सन्दर्भों से बाहर अपने समय की सच्चाई से रूबरू होने की जद्दोजहद से गुजरती हैं। इस संग्रह की कविताओं को पढ़ते हुए इस द्वैत और द्वन्द्व को लगातार महसूस किया जा सकता है।
क्या ये कविताएँ सिर्फ़ स्त्री की आँख से देखा हुआ समय हैं? अगर ऐसा है भी तो भी ये उन सीमा रेखाओं का अतिक्रमण करती हैं। इनमें पुरुष वर्चस्व और स्त्री के संघर्ष की दीर्घ परम्परा की ध्वनियों और उसके अनुरणन को तो सुना ही जा सकता है, लेकिन संघर्ष के वर्तमान दृश्यों को भी लक्ष्य किया जा सकता है। इन दृश्यों में—सिरफिरे और आवारा समझे जाने वाले लेखक-कलाकार बैनर, पोस्टर लिये राजमार्गों पर खड़े युद्ध के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे हैं और दूसरी तरफ़ हमारे समय की लोकतान्त्रिक सत्ताएँ जेल की दीवारों को मज़बूत करने में लगी हैं।
‘विधवा उत्सव मनाती मेरे गाँव की औरतें’ एक लम्बी कविता है। आरती की कविता मिथकों और इतिहास के सन्दर्भों में ही नहीं जाती वह उन कर्मकाण्डों को भी लक्ष्य करती है जो आज भी ज़ारी हैं। आत्यन्तिक परिणितियाँ अब कर्मकाण्डों से अलग कर दी गई हैं। ‘औरतों को ज़िन्दा मार सकने के नए तरीक़े समाज ने अपने विकास के साथ ईजाद कर लिए हैं’ लेकिन कर्मकाण्डों का स्वरूप बहुत नहीं बदला है। धर्मग्रन्थों के पास अपने तर्क हैं जिनके आगे ज्ञान-विज्ञान के सारे तर्क और धाराएँ झूठी पड़ जाती हैं। इस समय समाज के एक हाथ में मनुस्मृति है और दूसरे में संविधान—संविधान सबके लिए है लेकिन स्त्रियों के लिए मनुस्मृति सुरक्षित है।
आरती की इन कविताओं में विशेषरूप से ‘विधवा उत्सव मनाती मेरे गाँव की औरतें’ लम्बी कविता के शिल्प और भाषा में पूरा नाटकीय विधान मौजूद है। बल्कि इस लम्बी कविता में तो आरती ने नाटक की अनेक प्रविधियों का भी जगह-जगह इस्तेमाल किया है।
—राजेश जोशी

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Aarti

Author: Aarti

आरती

आरती का जन्म रीवा, मध्य प्रदेश में हुअा। उन्होंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर और ‘समकालीन कविता में स्त्री जीवन की विविध छवियाँ’ विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की है।
दस साल से अधिक वे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। समकालीन मुद्दों और खास तौर पर स्त्री विषयक मुद्दों पर लगातार लेखन किया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ प्रकाशित हुई हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित वृहद कथाकोष ‘कथादेश’ का सम्पादन भी किया है।
उनके दो कविता-संग्रह—‘मायालोक से बाहर’ और ‘मूक बिम्बों से बाहर’ प्रकाशित हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की दो पत्रिकाओं ‘मीडिया  मीमांसा’ और ‘मीडिया नवचिन्तन’ का सम्पादन किया है। साहित्यिक पत्रिका ‘समय के साखी’ की सम्पादक हैं।
इन दिनों भोपाल में रहकर स्वतंत्र लेखन।
ई-मेल : samaysakhi@gmail.com

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