Mere Samay Ke Saath

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Mere Samay Ke Saath

‘मेरे समय के साथ’ में शामिल कविताएँ श्यामपलट पांडेय को उत्तर-आधुनिक दौर के कवि के रूप में एक विशेष पहचान प्रदान करती हैं। इस संग्रह की कविताओं में मनुष्य के स्वप्न एवं यथार्थ के मध्य की कठिन भूमि बार-बार उपस्थित होती है। मूल्यों के तेज़ी से होते क्षरण को लेकर उपजी बेचैनी और उन्हें बचाए रखने की विकलता इन कविताओं में बार-बार लक्षित की जा सकती है।

इन कविताओं में एक देशज नॉस्टेल्जिया पूरी सृजनात्मक ऊँचाई तक पहुँचती है, जो जीवन के बीच से जीवन के पार तक ले जाती है। कविताओं के पार्श्व में मिट्टी की महक और लय के साथ एक लोक-ध्वनि बराबर बजती रहती है। अपने जातीय अनुभव-बोध की ज़मीन से उपजे अचिह्नित शब्दों को उठाकर नई या अद्भुत अर्थच्छवियाँ गढ़ना बहुत कम सम्भव हो पाता है। इस संग्रह की अनेक कविताएँ ऐसी ही अद्भुत अर्थच्छवियों के उजास से आलोकित हैं।

भाषा की ताज़गी लिए एक नया शिल्प बुनती ये कविताएँ कवि की घनीभूत संवेदना के साथ एकाकार हो जाती हैं। कवि अपने वस्तु-विन्यास या कविता की संरचना के प्रति पिछले संग्रहों की अपेक्षा अधिक सजग है और इसीलिए इन कविताओं का कसा हुआ शिल्प-सौष्ठव एक अलग जगमगाहट बिखेरता है। इन कविताओं में गाँव और शहर एक साथ उपस्थित होते हैं। अन्तर्विरोध एवं द्वन्द्व को उभारती तथा आसपास की हलचल को उकेरती इन कविताओं की गूँज पाठक के मन में बहुत दिनों तक छाई रहती है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2008
Pages 95p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Shyampalat Pandey

श्यामपलट पांडेय

जन्म : 15 फरवरी, 1949; जामो, सुल्तानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य, 1969), लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रथम श्रेणी तथा प्रथम स्थान के साथ एल.एल.बी. 2007, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद।

विशेष रुचि : गढ़वाल, कुमाऊँ (उत्तरांचल), हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात के अपरिचित आदिवासी अंचलों में दूर-दूर तक कई बार भ्रमण।

कार्य : 1969 से 1972 तक शिक्षण-कार्य; 1974 में उत्तर प्रदेश सिविल सेवा में डिप्टी कलेक्टर; 1974 से ही भारतीय राजस्व सेवा में अब सेवानिवृत्‍त।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘अँधेरे से अँधेरा काटता हूँ’, ‘धूप आज फिर उतरी है’; ‘अपना वजूद’ ‘मेरे समय के साथ’, ‘The Jungle of Screams and Other Poems’ आदि (काव्य-संग्रह)।

विभिन्‍न भाषाओं में कविताएँ अनूदित।

सम्मान : ‘अपना वजूद’ के लिए ‘घनश्यामदास सर्राफ साहित्य पुरस्कार’ योजना के अन्तर्गत हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित सम्मान ‘सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार—2003’ से सम्मानित।

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