Maujood

Author: Rahat Indori
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राहत साहब मेरे बड़े पुराने दोस्त हैं, लगभग चालीस बरस से मेरी और उनकी दोस्ती क़ायम है। वो एक बड़े शायर और एक सच्चे इनसान हैं। सच्चा इनसान उसे कहता हूँ, जो अच्छाइयों को ही नहीं बुराइयों को भी प्यार कर सके। मेरा व्यक्तित्व भी अच्छाइयों और बुराइयों का नमूना है और राहत का भी। इसीलिए तो मैं कहता हूँ कि फ़रिश्तों के टूटे हुए ख़्वाब का एक नाम राहत है। राहत ने जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर जो ग़ज़लें कही हैं, वो हिन्दी-उर्दू की शायरी के लिए एक नया दरवाज़ा खोलती हैं। वर्तमान परिवेश पर जो टिप्पणी उन्होंने अपनी ग़ज़लों में की है वो आज की राजनीति, आज की साम्प्रदायिकता, धार्मिक पाखंड और पर्यावरण पर बड़े ही मार्मिक भाव से की है। छोटी-बड़ी बहर की ग़ज़ल में उनका प्रतीक और बिम्ब विद्यमान है, जो नितान्त मौलिक और अद्वितीय है। उनके कितने ही शे’र ऐसे हैं जो ज़ुबान पर बरबस बैठे जाते हैं। नए रदीफ़, नई बहर, नए मज़मून, नया शिल्प उनकी ग़ज़लों में जादू की तरह बिखरा है और पढ़ने व सुननेवाले सभी के दिलों पर छा जाता है। राहत की शायरी तसव्वुफ़ की उच्चतम ऊँचाइयों तक पहुँचती है। उनका ये शे’र मेरे ज़ेहन में अक्सर कौंधता रहता है—

किसने दस्तक दी है दिल पर, कौन है?

आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है...?

भाई राहत की सोच एक सच्चे इनसान की सोच है। वो यद्यपि अपनी उम्र से अधेड़ दिखाई पड़ते हैं लेकिन आज भी उनके दिल में एक मासूम-सा बच्चा है जो बिना किसी भय के सच बोलना जानता है। मुझे विश्वास है कि पाठक उनके इस ग़ज़ल-संग्रह ‘मौजूद’ को भी बड़े प्यार और सम्मान से ग्रहण करेंगे।

—गोपालदास नीरज

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2020, Ed 3rd
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1.5
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Rahat Indori

Author: Rahat Indori

राहत इन्दौरी

डॉ. राहत इन्दौरी का जन्म 1 जनवरी, 1950 को इन्दौर में श्री रिफतुल्लाह और मकबूल बी के घर में हुआ। उन्होंने उर्दू में एम.ए. और पीएच.डी. करने के बाद इन्दौर विश्वविद्यालय में सोलह वर्षों तक उर्दू साहित्य अध्यापन और त्रैमासिक पत्रिका ‘शाखें’ का 10 वर्षों तक सम्पादन किया। पचास से अधिक लोकप्रिय हिन्दी फ़िल्मों एवं म्यूज़िक अलबमों के लिए गीत-लेखन किया है तथा सभी प्रमुख ग़ज़ल गायकों ने उनकी ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी। अब तक उनके छह कविता-संग्रह प्रकाशित और समादृत हो चुके हैं। अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, सिंगापुर, मॉरीशस, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल आदि अनेक देशों की अनेकानेक यात्राएँ कर चुके राहत साहब कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके थे।

निधन : 11 अगस्त, 2020

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