Manovigyan Ka Paribhashik Shabdkosh

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Manovigyan Ka Paribhashik Shabdkosh

शिक्षा के स्तर को उन्नत करने के लिए शिक्षा के माध्यम को बदलना अनिवार्य है, अंग्रेज़ी के स्थान पर हिन्दी अथवा मातृभाषा का उपयोग नितान्त आवश्यक है। किन्तु इस कार्य में मुख्य कठिनाई मानकित पुस्तकों की है।

यह पुस्तक इसी दिशा में एक प्रयास है। इसमें मनोविज्ञान के हिन्दी पर्यायवाची शब्दों के साथ-साथ उनके सम्बन्ध में संक्षिप्त किन्तु समुचित परिचय भी दिया गया है। इसमें यथासम्भव उन पर्यायवाची शब्दों का उपयोग किया गया है जिन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जो बहुत प्रचलित हो चुके हैं।

यह पुस्तक केवल छात्रों की आवश्यकताओं को ही नहीं, बल्कि मनोविज्ञान और साहित्य के लेखकों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखकर लिखी गई है। मनोविज्ञान का महत्त्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दिनोदिन बढ़ता जा रहा है और इसका प्रभाव साहित्य पर भी बहुत पड़ा है। मनोविज्ञान की पारिभाषिक पदावली से भली-भाँति परिचित न होने से प्रायः मनोवैज्ञानिक शब्दों का भ्रान्तिमय उपयोग हो जाता है। इसी दृष्टिकोण से इस पुस्तक में प्रत्येक शब्द के साथ उसकी धारणा का भी संक्षिप्त विवरण दिया गया है।

इस कोश के दो भाग हैं—पहले भाग में अंग्रेज़ी के हिन्दी पर्याय तथा उनकी परिभाषा और संक्षिप्त विवरण है। दूसरे भाग में हिन्दी शब्दों के अंग्रेज़ी पर्यायवाची शब्द हैं। हिन्दी शब्द के अर्थ अंग्रेज़ी पर्याय की सहायता से पहले भाग से देखे जा सकते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 2
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Nirmala Sherjang

Author: Nirmala Sherjang

निर्मला शेरजंग

जन्म : 31 दिसम्बर, 1914; लाहौर।

शिक्षा : स्नातकोत्तर (मनोविज्ञान, लाहौर), बी.टी. (पंजाब विश्वविद्यालय), एल.एल.बी. (दिल्ली विश्वविद्यालय)।

अकादमिक जीवन : इन्द्रप्रस्थ कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में शिक्षण (1939-80)। अतिथि प्रवक्ता (इंद्रप्रस्थ कॉलेज, 1981-83); नॉन-कॉलिजिएट एजूकेशन फ़ॉर वूमेन की इंचार्ज (1983-88)। लॉ स्कूल (दिल्ली विश्वविद्यालय) में प्रवक्ता (1945-47)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘मनोविज्ञान’, ‘बाल-विकास और उसकी समस्याएँ’; ‘सामान्य मनोविज्ञान’, ‘मनोविज्ञान का पारिभाषिक कोश’, ‘वैवाहिक विवाद : क़ानून, सलाहकारिता और समाधान’।

अनूदित : जेनरल साइकोलॉजी।

सम्पादन : ‘सामाजिक मनोविज्ञान’, ‘मैरिटल एंड काउंसलिंग’ की तीन जिल्दों का सम्पादन।

अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : ‘जरथ्रुस्त ने ये कहा—शेरजंग एवं निर्मला शेरजंग’; ‘हिमाचल का शेर स्वतंत्रता सेनानी शेरजंग—निर्मला शेरजंग’।

निधन : 27 जनवरी, 2007; दिल्ली।

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