Management Funda : Vyavaharik Evam Aadhyatmik Sootra

Author: N. Raghuraman
Edition: 2019, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Management Funda : Vyavaharik Evam Aadhyatmik Sootra

प्रबन्धन के इस युग में सफलता प्राप्त करने के कुछ पारम्परिक तरीक़े हैं तो कुछ करते-करते सीख जानेवाले मौलिक सूत्र भी। लेकिन यह तय है कि योग्य और श्रेष्ठ प्रबन्धन के द्वार पर दस्तक देने के लिए सफलता मजबूर होती है। आधुनिक समझ और साहित्य में प्रबन्धन के जितने सूत्र सिमटे हैं, उतने ही संकेत हमारे प्राचीन आध्यात्मिक ग्रन्थों में भी वर्णित हैं। हमारे प्राचीन ग्रन्थ इस मामले में उदाहरण हैं कि उनमें सुख-शान्ति और विजय प्राप्त करने का वर्णन प्रबन्धकीय रीति-नीति से किया गया है।

इस पुस्तक में हमारा पहला प्रयास यह है कि सांसारिक प्रगति और आध्यात्मिक रुझान के विरोधाभास को मिटाया जाए। जीवन के हर क्षेत्र में प्रबन्धन से प्राप्त की जा रही सफलता के लिए जो समझ होती है, उसके व्यावहारिक दृष्टि के इक्यावन उदाहरण इस पुस्तक में हैं। ठीक इन उदाहरणों के सामने वाले पृष्ठ पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से मिलते हुए आध्यात्मिक सोच के प्रसंग दिए गए हैं। 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2019, Ed. 5th
Pages 119p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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N. Raghuraman

Author: N. Raghuraman

एन. रघुरामन

पत्रकारिता और प्रबन्धन के क्षेत्र में कई वर्षों से एन. रघुरामन सक्रिय और प्रतिष्ठित हैं। पत्रकारिता में उनका प्रवेश 'फ़्री प्रेस' एवं 'द डेली' से हुआ। सन् 1994 में वित्तीय एवं व्यावसायिक पत्रकारिता में उतरकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के बिजनेस प्रकाशन को लांच किया। अनेक बिजनेस जरनल में आप सम्पादक रहे हैं। कई बिजनेस ग्रुप, दर्जनों पर्यटन परियोजनाओं के लिए आप प्रोफ़ेशनल सलाहकार भी रहे। पत्रकार, प्रबन्धक और मार्गदर्शक के रूप में आपने जिन सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया है, उनका व्यावहारिक पक्ष अनेक संस्थानों के लिए उपयोगी रहा है। भारत के सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले हिन्दी अख़बार ‘दैनिक भास्कर' के सम्पादकीय प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए आप इन्दौर संस्करण के सम्पादक भी रहे। पत्रकारिता के विभिन्न अंगों के बीच संसाधन, विशिष्ट ज्ञान और सूचना के समन्वयक के रूप में पहचान बनाते हुए, प्रबन्धन-कला के जानकार होकर आप अंग्रेज़ी राष्ट्रीय दैनिक ‘डीएनए’ मुम्बई में सम्पादक-योजना के रूप में भी कार्यरत रहे।

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