Main Tumhara Hoon

Edition: 2009, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Main Tumhara Hoon

“अभी मुझे और धीमे/क़दम रखना है। अभी तो चलने की/आवाज़ आती है।” अपनी साधना-यात्रा में ऐसा सूक्ष्म आत्मालोचन करनेवाले सन्त-कवि क्षमासागर जी अपनी अनुभूतियों की काव्याभिव्यक्ति एवं सूक्ष्म टिप्पणियों में ऐसा कुछ कह जाते हैं कि पाठक भाव-विभोर होते-न-होते विचारोद्वेलित हो उठता है। अत्यन्त कोमलता के साथ वे मनुष्य की सांसारिकता को दर्पण के सामने सरका देते हैं। पाठक बिम्ब-प्रतिबिम्ब में स्वयं को पाकर, कवि पर रीझता हुआ विचलित हो उठता है।

मनीषी कवि, चिन्तक एवं विज्ञानविद् मुनिश्री क्षमासागर दिगम्बर वीतरागी मुनि हैं। सागर के

एक सम्भ्रान्त, धर्मनिष्ठ एवं सुसमृद्ध सिंघई परिवार में जन्मे वीरेन्द्र कुमार ने सागर विश्वविद्यालय से भूगर्भ विज्ञान में एम.टेक. की उपाधि प्राप्त कर, तपोनिष्ठ आचार्य

श्री विद्यासागर जी के आध्यात्मिक आलोक में, अपनी अविवाहित युवावस्था (23 वर्ष) में, गृह-त्याग कर दीक्षा अंगीकार कर ली थी। वीरेन्द्र कुमार ने नया नाम पाया था, क्षमासागर। गृहस्थावस्था में वे घर-भर के लाड़ले थे। जीवन में न कहीं निराशा थी, न हताशा। न कहीं कोई असफलता, न कोई विरक्तिप्रेरक कटु प्रसंग। स्वेच्छा और स्वप्रेरणा से आत्मकल्याण की ओर वे प्रवृत्त हुए थे।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 80p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Muni Kshamasagar

मुनि क्षमासागर

श्रेष्ठ सन्त, मनीषी कवि, प्रवचन में अपूर्व वाग्मिता, चिन्तक, विज्ञानविद्।

जन्म : 20 सितम्बर, 1957; सागर (म.प्र.)

शिक्षा : एम.टेक., सागर विश्वविद्यालय!

पूर्वनाम : सिंघई, वीरेन्द्र कुमार

प्रमुख कृतियाँ : 'पगडंडी सूरज तक', 'अपना घर’, ‘मुक्ति’ और ‘मैं तुम्हारा हूँ’ (कविता-संग्रह); 'एकीभाव स्तोत्र (अनुवाद); ‘अमू्र्त शिल्पी’ और ‘आत्मान्वेषी' (संस्मरण); 'जनदर्शन पारिभाषिक कोश’ (संकलन) तथा 'गुरुवाणी' (प्रवचन संग्रह)।

निधन : 13 मार्च, 2015

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