Main Pakistan Mein Bharat Ka Jasoos Tha

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Main Pakistan Mein Bharat Ka Jasoos Tha
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जासूसी को लेकर विश्व की विभिन्न भाषाओं में अनेक सत्यकथाएँ लिखी गई हैं, जिनमें मोहनलाल भास्कर नामक भारतीय जासूस द्वारा लिखित अपनी इस आपबीती का एक अलग स्थान है। इसमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उसके पाकिस्तान-प्रवेश, मित्रघात के कारण उसकी गिरफ़्तारी और लम्बी जेल-यातना का यथातथ्य चित्रण हुआ है। लेकिन इस कृति के बारे में इतना ही कहना नाकाफ़ी है क्योंकि यह कुछ साहसी और सूझबूझ-भरी घटनाओं का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के तत्कालीन हालात का भी ऐतिहासिक विश्लेषण करती है। इसमें पाकिस्तान के तथाकथित भुट्टोवादी लोकतंत्र, निरन्तर मज़बूत होते जा रहे तानाशाही निज़ाम तथा धार्मिक कठमुल्लावाद और उसके सामाजिक-आर्थिक अन्तर्विरोधों को उघाड़ने के साथ-साथ भारत-विरोधी षड्यंत्रों के उन अन्तरराष्ट्रीय सूत्रों की भी पड़ताल की गई है, जिसके एक असाध्य परिणाम को हम ‘ख़ालिस्तानी’ नासूर की शक्ल में झेल रहे हैं। उसमें जहाँ एक ओर भास्कर ने पाकिस्तानी जेलों की नारकीय स्थिति, जेल-अधिकारियों के अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया है, वहीं पाकिस्तानी अवाम और मेजर अय्याज अहमद सिपरा जैसे व्यक्ति के इंसानी बर्ताव को भी रेखांकित किया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1984
Edition Year 2020, Ed. 3rd
Pages 188p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.2 X 14.2 X 2
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Mohanlal Bhaskar

Author: Mohanlal Bhaskar

मोहनलाल भास्कर

जिस वर्ष ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, उसी वर्ष 30 नवम्बर, 1942 को पंजाब की अबोहर तहसील में आपका जन्म हुआ।

अंग्रेज़ी में एम.ए. मोहनलाल भास्कर ने फ़िरोज़पुर छावनी के एम.एल.एम. हायर सेकंडरी स्कूल में अध्यापन कार्य किया। जासूसी के आरोप में पाकिस्तान के लाहौर के कोट लखपत जेल में 14 वर्ष की बामशक्कत क़ैद गुज़ारी और उसके पश्चात्, जब रिहा हुए तो ज़़िन्दगी से रूठे नहीं बल्कि एक नया जोश लेकर जीवन को दुबारा नए सिरे से प्रारम्भ किया। इसी कड़ी में समाज-सेवा को मुख्य उद्देश्य बनाया और शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान देते हुए ‘मानव मन्दिर सीनियर सेकंडरी स्कूल' की शुरुआत की।

सन् 2004 में फ़िल्म-निर्माण के क्षेत्र में क़दम रखा और ‘ये है प्यार का मौसम' नामक फ़िल्म का निर्माण किया। आपकी आत्मकथा के लिए सन् 1989 में ‘श्रीकांत वर्मा पुरस्कार’ से आपको सम्मानित किया गया।

उनकी स्मृति में पिछले पाँच वर्षो से ‘श्री मोहनलाल भास्कर फ़ाउंडेशन' द्वारा ‘ऑल इंडिया मुशायरा' फिरोजपुर (पंजाब) में करवाया जा रहा है।

निधन : 22 दिसम्बर, 2004

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